कोडमबक्कम वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज सुयशाश्री मसा ने हमारी इच्छाएं एवं संतुष्टि के बारे में कहा! 365 दिन 12 महीने 24 घंटे हम भौतिक सुख के बारे में ज्यादा सोचते है और यह भी सोचते हैं कि धरम ध्यान को बाद में कर लेंगे! प्रतिदिन 24 घंटे मी 1440 मिनट 86,400 क्षण हमारे जीवन में आते हैं! हमारी गाड़ी में ब्रेक भी है गियर भी है रिवर्स गियर भी है! लेकिन हमारी जीवन में ना तो break है और ना ही reverse है! इसलिए इस जिंदगी को बहुत संभल कर जीना पड़ता है! हमारे जिंदगी में हमारी संपत्ति, हमारे स्वजन और हमारा शरीर बहुत महत्वपूर्ण है!
स्वजन कभी भी खो सकते हैं! शरीर में कभी भी कोई भी बीमारी आ सकती है और कुछ भी हो सकता है! कितना भी रुपया, पैसा, सोना, चांदी हो, घमंड हो! हमारा एक निर्णय हमें अर्श से फर्श पर पटक सकता है! सरकार का एक नियम हमें बर्बाद कर सकता है! नोटबंदी जैसे कड़े कानून कभी भी हमें मजबूर कर सकते हैं! हमारी इज्जत हमारे रिश्तेदार हमारा पैसा सब अपनी जगह सही है लेकिन साथ चलने वाला कुछ भी नहीं है! जीवन क्षणभंगुर है, नाशवान है! इसका कोई भरोसा नहीं, guarantee भी नहीं!
मृत्यु को रोक तो नहीं सकते लेकिन सुधार सकते हैं! अंत भला तो सब भला! हमारे जीवन में इच्छाएं सीमित रहेंगी तो संतुष्टि भी रहेगी! सुधाकवरजी जी म सा ने फ़रमाया:- जिनवाणी क्या है?राग द्वेष पर काबू पाकर कही गयी अच्छी वाणी को जिनवाणी या आगम वाणी कहते हैं।”उत्कृष्ट पथ” में गणधर आते हैं उन्हें 24 पूर्व का ज्ञान प्राप्त होता है!24 तीर्थंकर 1452 गणधरों के बराबर होते हैं
*🙏जयजिनेंद्र!*