मुस्कराना अच्छे जीवन जीने की प्रथम आवश्यकता: मुनि मोहजीत
यह उद्धबोधन आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री मोहजीत कुमार जी ने आज विशेष प्रवचन श्रृंखला के तहत जिंदगी ऐसी बना विषय पर फरमाये। मुनिश्री ने अपने विशेष प्रवचन में फरमाया कि मनुष्य को वर्तमान मे जीना सीखना चाहिये। मनुष्य को अपनी जिंदगी इस तरह से जीने का प्रयास करना चाहिए कि वह दूसरों की नज़र में सदैव सम्मान का पात्र बने । इसके लिए मुनिश्री ने तीन सूत्र बताये न्यूनतम लेना,अधिकतम देना और श्रेष्ठ जीवन जीने का प्रयास करना। अपने जीवन मे सदैव मुस्कान रखे जिससे स्वयं का जीवन आंनदित रहे और दूसरों के साथ सदभाव का वातावरण निर्मित बने।
मुस्कराहट और अच्छे व्यवहार से किसी के भी दिल को जीता जा सकता है। अपने जीवन को चंदन के वृक्ष की भातिं बनाने का प्रयास करना चाहिए जो वृक्ष की भांति जंगल मे खड़ा रहे तब चारों और सुगंध फैलाता है। जब कटे तो भी वह सुगंध फैलाता है और जब चंदन की लकड़ी की घिसाई हो तब भी वह सुंगध फैलाता है। हमारा जीवन भी परिवार और समाज मे सुगंध फैलाये ऐसी जिंदगी का निर्माण करना चाइये।
मुनिश्री ने कई प्रेरणापरक मुक्तकों से लोगों के अच्छे जीवन जीने की प्रेरणा दी। मुनिश्री भव्यकुमारजी ने भी इस अवसर पर विशेष उद्धबोधन दिया। मनुष्य को सुन्दर जीवन जीने की इच्छा रखनी चाहिए जहां इच्छा होगी वहां रास्तों का निर्माण स्वयं हो जायेगा । मनुष्य को अपने सभी रिश्तों में कृतज्ञता का भाव रखना चाइये जिससे रिश्तों में मधुरता के निर्माण से जिंदगी को अच्छे से जिया जा सके। मुनिश्री जयेश कुमारजी ने फरमाया कि यदि व्यक्ति अल्पता में भी संतुष्ट रहना सिख ले तो सुन्दर जीवन जी सकता है। अच्छा जीवन का निर्माण अच्छे संस्कारों की नींव पर बनता है। अच्छे जीवन के निर्माण में तीन बातों पर ध्यान देने की अपेक्षा है सही सोच, सही चिंतन और स्पष्ट द्रष्टिकोण ।
तेयुप मीडिया प्रभारी नवीन सालेचा ने बताया कि मुनिश्री के सानिध्य ने हर रविवार को विशेष विषयों पर प्रवचन श्रृंखला आयोजित होती है । इस अवसर पर वृहद संख्या में तेरापंथ श्रावक समाज उपस्थित हुआ।