गुणगान से मनाई गई भक्तो के भगवान और अहिंसा के पूजारी का जन्म जयंती समारोह चैन्नई मे
Sagevaani.com @चैन्नाई। अहिंसा के पुजारी और भक्तों के भगवान थे,पूज्य गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमल जी महाराज एवं लोकमान्य संत रूपचन्द जी महाराज। रविवार अयनावरम् जैन दादाबाड़ी मे गुरू द्वय के जन्म जयंती गुणगान समारोह में महासती धर्मप्रभा ने गुरूद्वय के जीवन पर प्रकाश डालते कहा कि पूज्य गुरूदेव श्री का सम्पूर्ण जीवन एक जलती हुई मशाल था, एक ऐसी मशाल जो पूरे संघ और समाज का मार्ग प्रशस्त कर रही है ।वो एक दृढ़ संकल्पी, अटूट विश्वास के धनी, आत्म विश्वास से परिपूर्ण, दिन दुखियो के सच्चे हितेषी, जीवदया के प्रबल प्रेरक, संघठन हामी व श्रमणसंघ की ढ़ाल थे। उन्होंने श्रमणसंघ को एक सूत्र में पिरोने के लिए राजस्थान की धरा पर सात- सात बार साधू सम्मेलन करवाए। गुरूदेव ने सदैव जोड़ने में विश्वास किया तोड़ने में नहींl वचन सिध्द योगी थे। उनका मांगलिक भी इतना चमत्कारी था कि भक्तों के सब अटके काम बन जाते थे। गुरूदेव ने कभी भी अपने प्रांणो की परवाह न करतें हुए कई स्थानों पर धर्म के नाम दि जाने बली प्रथा को बंद करवाया और पशुओं को अभयदान दिलवाया।गुरूदेव ने पंथ,संम्रदाय और मजहब के भेद भाव को कभी महत्व नहीं दिया। पीड़ित मानव की सेवा ही नहीं बल्कि मूक पशुओं की रक्षा केलिए 350 से अधिक गौशालाएं खुलवाई और लाखो पशुओं की जान बचाई ।
आज भी उन गौशालाओं मे गौ माता की सेवाऐ भक्तों के द्वारा की जा रही है। गुरूदेव मिश्रीमलजी एवं रूपमुनि जी अहिंसा के सच्चे पुजारी तो थे ही साथ ही मानव कल्याण के लिए अनेक जगहों पर हॉस्पिटल स्कूल कॉलेज एवं छात्रावास,कबूतर शालाएं आदि खुलवाये। पूज्य गुरूदेव श्री ने सभी संत मुनियों के सम्मेलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करतें हुए सभी सम्प्रदायो के संतो के आपसी मतभेदों और राग द्वेषो को अपनी सूझ बुझ से दूर करवाया और सभी संतो को एकता के सूत्र में बांधकर श्रमणसंघ को मजबूत बनवाने मे सम्मेलन सहयोग प्रदान किया।मानवता के मसीहा अहिंसा के पुजारी पूज्य गुरूदेवों का जीवन संयम साधना को समर्पित रहा। गुरूदेव छत्तीस कौम के भगवान थे। संत हो या श्रावक या राजनेता जो भी अपनी समस्याएं गुरूदेव के पास लेकर आते और वापसी हंसते – हंसते गुरूदेव से विदा हो जाया करते थे। गरीब हो या अमीर गुरूदेव ने कभी किसी के साथ भी भेद भाव नहीं किया। गुरूदेव बताये गये धर्म के मार्ग पर हम चलेंगे तो हमारे जीवन के सारे संकट दूर हो जाएंगे।साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि गुरूद्वय एक संत रूपी मणिमाला की एक दिव्यमणि श्रमण संघ की ढ़ाल, श्रमणसंघ के प्रांण, जन-जन के आश्रय दाता, श्रध्दा के केन्द्र, संघठन के अगुवा संत, मानव समाज के मसीहा, जन-जन के प्रति कल्याण की भावना को दिल में संजोकर रखने वाली प्रवित्र आत्मा थे। गुरूदेव एक ऐसे संत थे जिनके सर पर कौई ताज न होते हुए भी सभी के सिरताज थें।
निर्बलों की शक्ति व मानवता की आवाज थें। गुरूदेव के जीवन की विशेषता यह थी कि वे किसी संघ व समाज से बंधकर नहीं रहें बल्कि छत्तीस कौम के पूज्यनीय आदरणीय थे। एक निडर निर्भीक,स्पष्टवक्ता संत रत्न थे। उन्होंने निन्दा, अपमान से डरना नहीं सीखा। उनके इरादें व्रज के समान मजबूत थे। उन्होंने समाज समाज में फैली हुई बुराइयों कुरीतियों व कुव्यसनों का खुल कर विरोध किया वे दूर द्रष्टा संत थे। पुरूषावाक्कम से पधारी महासती चैतन्या श्री ने फरमाया मिश्री एवं रूप गुरू के रग-रग में करूणा व दया की भावना समाई हुई थी। छोटा हो या बड़ा गुरूदेव ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। सभी के प्रति गुरूदेव प्रेम और वात्सल्य से बात किया करतें थे।
गुरूदेव श्रावकों से कहा करते थे जीवन मे काम करते जाओ स्वतः ही तुम्हारा नाम हो जाएगा। गुरूदेव ने जीवन मे कभी हार नहीं मानी अपनी अंतिम सांस तक समाज और जीवों की रक्षा केलिए काम करते रहे। गुरूदेवों की साधना इतनी प्रबल थी आज भी गुरूदेव का नाम लेने मात्र पर सभी भक्तो के बिगड़े काम हो जाते है। हम ऐसे गुरूदेवो का जितना गुणगान किया जाए वो कम है। श्री संघ साहूकार पेठ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया कि समारोह प्रांरभ मे मंगलाचरण जय संस्कार महिला मंडल और जैन संस्कार महिला शाखा की बहनो द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।
सम्पूर्ण समारोह के लाभार्थी एम.अजितराज कोठारी एन. राकेश कोठारी और जन्मोत्सव समारोह के मुख्य अतिथियों मे समाज सेवी गुरू भक्त अगरचन्द चौरड़िया, उद्योगपति गौभक्त दीप चन्द लूणिया, जैतारण मरूधर केसरी पावनधाम के चैयरमेन मोहनलाल गडवाणी एवं साहूकार पेठ के चैयरमैन उत्तमचन्द श्रीश्रीमाल महामंत्री सज्जनराज सुराणा, उपाध्यक्ष हस्तीमल खटोड़, पदमचंद ललवानी, सुरेश डूगरवाल, शांतिलाल दरडा, देवराज लुणावत, जितेन्द्र भंडारी, बादलचन्द कोठारी, रमेश दरडा, महावीर कोठारी, सुभाष काकलिया, अशोक कांकरिया, शम्भूसिंह कावड़िया, अशोक सिसोदिया, संजय खाबिया, ज्ञानचन्द चौरड़िया, कमल खाबिया, तारेश बेताला, राजेश चौरड़िया, भरत नाहर आदि सभी ने लाभार्थी कोठारी के साथ श्रीमरूधर केसरी दरबार का उद्घाटन एवं जैन ध्वज लहराकर जन्मोत्सव समोरोह को गति प्रदान की।
गुरूद्वय जन्म जंयती समारोह का हस्तीमल खटोड़ ने संचालन करते हुए बताया कि इस दौरान जन्मोत्सव के लाभार्थी एम. अजितराज, एन. राकेश, एम. अशोक कोठारी और समारोह के अध्यक्ष अगरचन्द चौरड़िया मुख्य अतिथीयों मे दीपचन्द लूणिया, मोहनलाल गडवानी, नवरतनमल बोकडिय़ा, राष्ट्रीय जैन कॉन्फ्रेंस के कोषाध्यक्ष पदमचंद कांकरिया, सुरेशचन्द लुणावत, पारसमल वैद, गौतमचन्द कटारिया, डॉ जबरचन्द खिंवसरा, पन्नालाल सिंघवी, रिखबचंद बोहरा, मीठालाल मकाणा, देव राज कोठारी, महावीर कटारिया, नेमीचंद कुंकुलोल, चैनराज दुग्गड़, माणकचन्द गोठी, मदनलाल लोढ़ा, प्रमोद गोठी, चन्द्रप्रकाश लोढ़ा, आर राजेश दुग्गड़, भंवरलाल बोहरा, विनय वालेचा, महेश भंसाली, सोहनलाल दुधड़िया, उमेदराज हुडिवाल, एच. अमर कोठारी, इन्द्रचन्द सुराणा, चैनराज ललवानी, पारमल गादिया, सागरमल कोठारी ओमप्रकाश सिसोदिया, ललित मकाणा, प्रकाश सिसोदिया, आदि सभी अतिविशिष्ट अतिथियों का श्रीसंघ साहूकार पेट के पदाधिकारियों एवं श्री एस. एस. जैन संस्कार मंच के सदस्यों ने लाभार्थी परिवार अतिथियों का शाल माला,मोमेंटो देकर स्वागत किया।
जन्मोत्सव समारोह मे भारत के अनेक प्रांतों के साथ बैगलोर, हैदराबाद, चैन्नाई के उपनगरों मे विल्लीवाकम, पुरुषावाक्कम, वेलेचेरी, नार्थ टॉउन अलवार पेट, ट्रिप्लीकेन, किलपॉक, अन्ना नगर, अलसूर, पेरम्बूर, सिंहपेरूमाल, मदरान्तकम्, टी नगर, वेपरी, सैदापेट, अम्बूत्तूर, पैरंगलतूर, आरकोणम् ताम्बरम्, सेलियुर, नंगनल्लूर, आलन्दूर, क्रोम पेट, तैनामपेट, वडपलनी, अडयार, तिरूवानमयूर, राय पेटा, आवड़ी, मैलापुर, गुडवांचेरी, वैपेरी, धोबी पेट, आरूमबाक्कम, श्री पेरमबूत्तर, शनॉयनगर, भारती नगर, एम.सी रोड़, विरदासचलम, कलाकुरची, चिदम्बरम आदि सभी श्रीसंघो के गणमान्य श्रावक श्राविकाओं के साथ चार हजार श्रध्दांलूओ कीजन्म जयंतीसमारोह मे उपस्थित रहीं। मरूधर केसरी एवं लोकमान्य संत की जन्मजयंती पर महावीर चन्द कटारिया ने बड़ी राशि अनेक गौशालाओं मे प्रदान की और दीपचन्द लूणिया ने राशि गौशाला मे देने की घोषणा की ।इसदौरान महावीर सिसोदिया ने कहा पूज्य गुरूदेव श्री का नाम लेने मात्र से जीवन मे आई विपदाऐ टल जाती है।
प्रवक्ता सुनिल चपलोत
श्री एस. एस जैन भवन साहूकार पेठ चैन्नई