स्विकारभाव में सुख है- साध्वी जिनाज्ञा श्रीजी। आकुर्डी स्थानक भवन मे आज “पुच्छिसुणं” अनुष्ठान के दुसरी गाथा का जाप हुआ! “ कहं च णाणं कहं दंसणं से,सीलं कहं नायसुयस्स आसि। जाणासि क्षण भिक्खु जहातहेणं,अहासुयं बुहि जहां णिसंतं! “। जिनाज्ञा श्री जी ने लिखनेवाले पेन्सील के पॉंच उपयुक्त गुणोकी तुलना जीवन में सुख पानेके सिध्दांतोसे की!
आज सौ. ममता विनोदजी रुंगलेचा जैन की 11 उपवासकी पचछकावणी हुई! येरवडा जैन श्रावक संघ अध्यक्ष चंद्रकांतजी लोढ़ा के नेत्रुत्वमे सौ सरसबाई कटारिया आयोजित दर्शन यात्रामे गुरु चरणोमे आया! उपvस्थित महानुभावोंका संघाध्यक्ष सुभाष ललवाणी एवं विश्वस्तोने स्वागत किया!