चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने बुधवार को कहा उत्तराध्ययन के माध्यम से सभी परमात्मा की दिव्य वाणी को सुन रहे हैं। इसका सही से लाभ लेकर जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करना चाहिए।
स्वाध्याय के साथ ही मनुष्य को दूसरों को भी स्वाध्याय करने की सलाह देनी चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य का जीवन ऊंचाइयों पर पहुंच जाता है। परमात्मा की वाणी सुनकर मनुष्य अपने जीवन के कर्मो की निर्जरा कर सकता है। इसे समझने वाले महान लोगों में शामिल हो जाते हैं।
मनुष्य को जिनवाणी सुनकर उस तत्व में अपने जीवन को आगे बढाने का प्रयास करना चाहिए। मनुष्य को बहुश्रुत बनने के लिए विनयवान बनने की जरूरत है। उन्होंने कहा मिले इस मनुष्य भव में धर्म के कार्य कर इस भव के साथ आने वाले भव को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करके मनुष्य खुद की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति करा देता है।
उन्होंने कहा मनुष्य भव को पाकर जो जिनवाणी सुनने में खुद को लगाता है वही मानव जीवन को सार्थक बनाता है। जो लोग अपने माता पिता के आदेश के अनुसार चलते है वे सफल होते हैं। जीवन में विनय अपनाने वाले लोग माता पिता का नाम रोशन करते हैं।
सागरमुनि ने कहा परमात्मा ने अपने आचरण से उपदेश देकर सारे जगत के जीवों पर अनंत उपकार किया है। जीवन को सद्गुणों से सजाने के लिए गुरु चरणों में समर्पित होने की जरूत है। परमात्मा की भक्ति में लगने का मौका मिले तो इसे कभी नहीं खोना चाहिए।
जीवन में अगर दया अहिंसा और धर्म नहीं है तो सब बेकार है। मनुष्य को ऐसे मार्गो का अनुसरण कर जीवन में प्रकाश करना चाहिए। इससे पहले उपप्रर्वतक विनयमुनि ने उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन किया।