श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान मे आचार्य हस्ती द्वारा विरचित जम्बुकुमार चरित्र -कथा काव्य का मूल,विवेचन सहित पूर्ण वांचन वरिष्ठ स्वाध्यायी वीरेन्द्र कांकरिया ने किया | स्वाध्यायी बन्धुवर ने जम्बुकुमार जीवन चरित्र के अंतर्गत पूर्व भवों का वर्णन,भगवान महावीर के पांचवे गणधर आर्य सुधर्मा स्वामी के राजगृही मे आगमन व धर्मोपदेश, जम्बुकुमार के परम वैराग्य का वैभव, दोनों के मध्य विस्तृत संवाद, माता-पिता के संग संवाद, आठ कन्याओं के संग परिणय बंधन व प्रथम रात्रि मे ही आठो कन्याओं के संग संवाद व प्रतिबोध, राजकुमार विधाधर प्रभव को दिए प्रतिबोध का सुन्दर वर्णन किया | जम्बुकुमार व आठो कन्याओं के संग माता-पिता व प्रभव संग 499 साथी कुल 527 एक साथ आर्य सुधर्मा स्वामी के पास दीक्षित हुए |
श्रावक संघ तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्र कांकरिया ने बताया कि जम्बुस्वामी 16 वय की आयु मे दीक्षित हुए व 64 वर्षो की साधु पर्याय रही | उनकी केवली पर्याय 44 वर्षो की रही | काल खण्ड की अपेक्षा से अवसर्पिणी काल के अंतिम केवली के रुप मे जम्बूस्वामी थे | पूर्व के चरित्र ग्रन्थों के आधार पर जम्बुकुमार चरित्र की सरल पद्यों मे रचना आचार्य हस्ती ने संवत 2021 के भोपालगढ के चातुर्मास में की | धर्मसभा मे इंदरचंद अम्बालाल कर्नावट कान्तिलाल महावीरचन्द तातेड़ दीपक योगेश श्रीश्रीमाल, महावीरचन्द छाजेड़, रुपराज सेठिया, गौतमचन्द मुणोत, चंपालाल बोथरा, नवरतनमल चोरडिया आदि श्रावकों की सामायिक परिवेश मे उपस्थिति प्रमोदजन्य रही |