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स्वाध्याय नंदनवन है, दिव्य चक्षु है, ध्यान का प्रवेशद्वार है – साध्वी डॉ. राज श्री जी

स्वाध्याय नंदनवन है, दिव्य चक्षु है, ध्यान का प्रवेशद्वार है – साध्वी डॉ. राज श्री जी

स्वाध्याय नंदनवन है, दिव्य चक्षु है, ध्यान का प्रवेशद्वार है – साध्वी डॉ. राज श्री जी सम्यक द्रुष्टी से धर्म आराधना हो- डॉ. मेघाश्रीजी। वचनशक्ति सबसे बड़ी शक्ति है! शब्द बाण का और बिणा का भी काम करता है! एक चुप्पी हजारो समस्या का समाधान है। साध्वी जिनाज्ञाश्री जी। आज आकुर्डी स्थानक भवनमे “ पुच्छिसुणं” जाप अनुष्ठान के दसवी गाथा का संपुट हुआ!

डॉ. मेधाश्री जी ने सामुहिक रुपसे जाप करवाया! साध्वी समिक्षा श्री जी ने “ मॉं का आशिर्वाद चारों धामसे न्यारा है, मॉं है तो हर सहारा है!” यह सुंदर भजन प्रस्तुत किया! डॉ. राज श्री जी ने स्वाध्याय के लाभ बताते हुये कहा हमे स्वाध्याय रुपी नंदनवन में भ्रमण करना है!अनेक भोगोके संचित कर्मों का स्वाध्याय से क्षमा क्षय होता है! अपने द्वारा अपने आत्मा का अध्ययन करना है!

साध्वी जिनाज्ञाश्री जी ने मनुष्य जन्म की चार गतविधियॉं मराठी में बहुत ख़ुबी से बताई “ जन्म होतो खाटावर, लग्न होत पाटावर, दहावा होतो घाटावर, व मनुष्य जगतो नोटांवर !” कम बोलो कामका बोलो! मौन व्रत गुणकारी है! आजके धर्मसभामे उदयपुर, भिवंडी, कात्रज, स्वारगेट से धर्मप्रेमी दर्शनार्थ पधारे थे !

श्री संघ के और से संघाध्यक्ष सुभाष जी ललवाणी ने सभी मान्यवरोंका स्वागत किया! वर्तमान आचार्य भगवंत ध्यानयोगी पु. डॉ. शिवमुनीजी म. सा. का 83 वाँ जन्मदिवस एवं दाद गुरुणीसा का जन्म शताब्दी महोत्सव इतवार 22/9/2024 को अध्यात्म से मनाया जायेंगा! सामुहिक एकासन, पंचरंगी सामायिक, गुणानुवाद आदि द्वारा यह जानकारी सुभाष ललवाणी ने दी!

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