चेन्नई. जिन शासन की पुकार प्रवचन माला में पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के सातवें दिवस साध्वी मुदितप्रभा ने कहा हमें इस संसार की हकीकत को पहचान लेना है। समय का कोई भरोसा नहीं है। नहीं तो हम खाते -पीते इस संसार से कब चले जाएंगे।
रविवार को ऑफिस की छुट्टी हो सकती है पर भगवान के घर कभी छुट्टी नहीं होती है। यमराज का बुलावा कभी भी आ सकता है। आज हमें अपनी आत्मा का शुद्धिकरण कर हमे प्रायश्चित करना है। हमे हमारे द्वारा हुई गलतियों को सॉरी बोलना है। प्यूरीफिकेशन से हमारे मन की गाठों को खोला जा सकता है।
प्रायश्चित एक आग है। यह आग हमारे कर्मों को जला देती है। प्रायश्चित की अग्नि हमारे सारे दोषों को जला देती है। आज सबसे बड़ा रोग है कि लोग क्या कहेंगे। प्रायश्चित करने के लिए हृदय को सरल बनाना होगा।
इस पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के अंतिम दिवस का प्रतिक्रमण कर हमारे द्वारा हुई समस्त गलतियों को अलविदा कर अपनी आत्मा को प्यूरीफाई करना है। प्रतिक्रमण का मतलब है अपने आप को भीतर से जोडऩा।
स्वयं को समझना ही प्रतिक्रमण है और तप ही आत्मा को शुद्ध करने पर्व है। साध्वी इंदुबाला ने मंगलपाठ सुनाया। श्री एस एस जैन संघ किलपाक के अध्यक्ष सुगंचन्द बोथरा ने यह जानकारी दी।