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स्वदर्शी से सर्वदर्शी की हो यात्रा: स्वरूप चन्द दाँती

स्वदर्शी से सर्वदर्शी की हो यात्रा: स्वरूप चन्द दाँती

Sagevaani.com @सवदत्ती; आचार्य श्री महाश्रमणजी की अनुज्ञा से पधारे उपासक दय श्री स्वरूप चन्द दाँती- चेन्नई एवं श्री शोभागमलजी सांड- कडलूर के निर्देशन में तेरापंथ सभा भवन, सवदत्ती में पर्युषण पर्वाराधना का प्रारम्भ हुआ।

 नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। उपासक श्री स्वरूप चन्द दाँती ने कहा कि तीन तरह के व्यक्ति होते है- स्वदर्शी, परदर्शी और सर्वदर्शी। जो व्यक्ति स्वयं की आत्मा में अवस्थित होता, गुणग्राही होता है, आत्म साधना में लीन प्रत्येक प्राणी चेतना के उर्धारोहण का हीत चिन्तन करता है। वह साधक कहलाता है, स्वदर्शी कहलाता है। परदर्शी व्यक्ति दूसरों के दोषों को ही देखता है और विराधक बनता है। सर्वदर्शी- केवली होते है जो सभी को देखते है। पर्युषण पर्व हमें प्रेरणा देता है कि हम भी साधक बन स्वदर्शी से सर्वदर्शी बनने की दिशा में गतिशील बने।

 उपासक श्री शोभागमलजी सांड ने कहा कि यह पर्व बाहर से भीतर को ओर यात्रायित होने का पर्व है। इसकी सम्यग आराधना के लिए खाद्य संयम को अपनाना चाहिए। तपस्या से हल्का बना जा सकता है।

 तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री जगदीशजी कोठारी ने स्वागत स्वर प्रस्तुत करते हुए उपासक द्वय का परिचय प्रस्तुत किया। श्रावक श्राविकाओं ने उपवास, एकासन इत्यादि के त्याग प्रत्याख्यान किये। इससे पूर्व प्रातःकालीन प्रार्थना, प्रेक्षाध्यान का प्रयोग हुआ। दोपहर में श्रावकाचार के बारे में बताया गया। शाम को गुरु वन्दना, प्रतिक्रमण के साथ उपासकजी ने जीवनोपयोगी विचारों का प्रतिपादन किया गया।

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