चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सानिध्य में साध्वी डॉ.सुप्रभा ने स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में कहा भारत भूमि पर समय-समय पर ऋषि-मुनियों ने अध्यात्म उपदेश दिया है। रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस मेें एक बंधनमुक्त होने का पर्व है तो दूसरा बंधन में बंधने का। एक पर्व हजारों वर्षों की गुलामी से मुक्ति का त्यौहार है तो दूसरा भाई-बहिन के प्रेम, समर्पण और कर्तव्यपरायणता के बंधन में बंधने का।
यह आजादी का दिन यंूही नहीं मिला है जिसके लिए कितने ही नौनिहालों ने संगीनों के वार सहे, कितनी ही माताओं ने अपने नौनिहालों को फांसी पर झूलते देखा तब जाकर स्वतंत्रता मिली है, इसकी कीमत समझें। जो उल्लास और हर्ष आजादी के समय था, वैसा आजकल देखने को प्राय: नहीं मिलता है क्योंकि हम स्वच्छंद हो गए हैं। हमें स्वच्छंद नहीं स्वतंत्र रहना है। इसे रामराज्य में बदलना है। अपनी सोच बदलें, ईमानदारी का जीवन जीएं, अपने निजी स्वार्थ छोड़ अच्छे नागरिक धर्म का पालन करें तो रामराज्य देश में साकार होगा।
साध्वी डॉ.हेमप्रभा ने भगवान महावीर ने तीन प्रमुख सिद्धांतों की प्ररूपना की है- अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह। इन तीनों सिद्धांतों का प्रयोग महात्मा गांधी ने देश को स्वतंत्रता दिलाने में किया। गांधीजी ने सभी आंदोलनों में अहिंसा को सर्वोच्च स्थान दिया व स्वयं के जीवन में परिग्रह को लागू किया जो सबसे बड़ा उदाहरण है। वे संसद में भी गए तो लंगोटी धारण करके। उन्होंने अपने विचारों में अनेकांत को स्थान दिया।
हमें गर्व होना चाहिए कि हमने भारत भूमि पर जन्म लिया है। यह ऋषि और कृषि प्रधान भूमि रही है। यह भारत भूमि ही है जिसे माता और पिता कहलाने का गौरव प्राप्त है। हर देश का राष्ट्रपति होता है लेकिन भारत देश का राष्ट्रपिता भी है।
यह तप, त्याग की भूमि है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज का केसरिया रंग साधना और तपस्या, श्वेत रंग शांति और हरा रंग हरियाली और सौंदर्य का प्रतीक है।
धर्मसभा में किशोरचंद चोरडिय़ा ने सामूहिक वंदना कराई। गुरुवार सवेरे 9 बजे से रक्षाबंधन पर जप, तप और साधना के साथ विशेष सामूहिक भाई-बहिन के कार्यक्रम व अनेक प्रतियोगिताएं होगी।