एमकेबी नगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मप्रभा ने कहा इंद्रियों को वश में रखते हुए तप और संयम से आत्मा को पाप से बचाना चाहिए क्योंकि असुरक्षित आत्मा जन्म मरण के चक्कर में फंसी हुई संसार का परिभ्रमण करती है और सुरक्षित आत्मा सब दुखों से मुक्त हो जाती है।
कछुआ जैसे सारे अंग समेट लेता है वैसे ही जब मनुष्य इंद्रियों को सब विषयों से समेट लेता है तो उसकी बुद्धि स्थिर हो जाती है।
साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा जब तक आत्मा के ऊपर पाप कर्म का मैल लगा हुआ है तब तक आत्मा की शांति के सारे रास्ते बंद रहते हैं और यदि इस शांति को पाना है तो जन्मों से लगे कर्म मैल को निर्जरित करना होगा। यह सब तप, त्याग, व्रत, प्रत्याखान, यम-नियम, जप और साधना के बिना संभव नहीं है। जिस प्रकार वाहन के लिए ब्रेक जरूरी है उसी प्रकार मानव जीवन में व्रत और संयम जरूरी है।
मरुधर केशरी जन्म जयंती महोत्सव का तीसरा दिन जाप दिवस के रूप में मनाया गया जिसमें 108 जोड़ों ने भाग लिया।