Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

स्थिरता, एकाग्रता, उपभोग ध्यान के अंग है: आचार्य म. सा. उदयप्रभ सूरीश्वर जी महाराज साहब

स्थिरता, एकाग्रता, उपभोग ध्यान के अंग है: आचार्य म. सा. उदयप्रभ सूरीश्वर जी महाराज साहब

चेन्नई साहूकारपेट मिंट स्ट्रीट स्थित आराधना भवन प्रांगण में श्री चंद्रप्रभु जैन नया मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में चल रहे चातुर्मास के अंतर्गत केसर सूरी समुदाय के गच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य म. सा. उदयप्रभ सूरीश्वर जी महाराज साहब ने अपने रविवारीय प्रवचन में ध्यान योग की महत्ता के बारे में फरमाया की आगमो का सार द्वादशांगी और द्वादशांगी का सार ध्यान है । स्थिरता, एकाग्रता, उपभोग ध्यान के अंग है । उत्तराध्ययन स्त्रोत में बताया गया है कि संयम और तप के द्वारा ध्यान सिद्ध किया जा सकता है । जैसे गाड़ी को नियंत्रण में लाने के लिए ब्रेक हाथी को अड़ंगा घोड़े के लिए चाबुक जरूरी है वैसे ही आत्मा और मन को नियंत्रण में लाने के लिए संयम और तप जरूरी है ।

संयम को साधना के लिए समर्पितता,सौम्यता ,सरलता और सहजता में चार गुण और तप की साधना के लिए सद्भाव, सहनशीलता, सरलता और सहजता में चार सोपान आवश्यक है । ध्यान ,स्मरण, भावना आचरण जैसे चार गुण यदि श्रोता में हो तो उसका श्रवण सफल होता है । परमात्मा का ध्यान करने के लिए सबसे पहले पंच परमेष्ठी के पांच पदों को हमारे शरीर में प्रतिस्थापित करना चाहिए जैसे अर्हम नमः सिद्ध नमः आयरियाणं नमः उवझ्याण नमः साहूणम नमः यत्र जाप: तत्र न पाप: ध्यान एवं जाप को सिद्ध करना है । तो जाप को मंत्र को स्वास् के साथ एकाकार करें रेचक मुद्रा में ध्यान करें। सेनापति ,संघ ,साधु और सज्जन इन चारों को हमेशा जागते रहना चाहिए जागते जागते चलना और चलते-चलते दौड़ना चाहिए। परमात्मा ,धर्माचार्य, गुरु, मातापिता और सहायकदाता यह चारों हमारे महान उपकारी हैं। मानव भव अत्यंत दुर्लभ है यह सारी क्रियाएं अनुष्ठान ,धर्म, सिर्फ मानव भव में ही संभव है क्योंकि सौंदर्य भले देव के पास हो सत्य मानव के पास ही है वैभव भले देव के पास हो परंतु विरती मानव के पास ही है साधन भले देव के पास हो पर साधना मानव के पास ही है । अतः मानव भव को धर्ममय एवं ध्यानमय बनाकर सफल करें।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar