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स्त्रियां इस धरा की मात्रवत्,  उनका डांडिया नृत्य बढा रहा पाप : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा.

स्त्रियां इस धरा की मात्रवत्,  उनका डांडिया नृत्य बढा रहा पाप : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा.

श्रीजी वाटिका में श्रीपार्श्व पद्मावती महा पूजन हवन संपन्न

इंदौर। सनातन धर्म की यह परंपरा नहीं है कि मां की भक्ति करने जैसे पावन नवरात्रि पर्व के दौरान विकार उत्पन्न करने वाले फूहड़ संगीत पर मात्रवत् स्त्रियां नृत्य करें। स्त्रियों का डांडिया कल्चर के नाम पर पुरुषों के साथ इस प्रकार का नृत्य इस धरा पर पाप बढ़ा रहा है।
यह कहा विश्वविख्यात कृष्णगिरी तीर्थ शक्तिपीठाधीपति, विश्वशांति दूत, राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने। वे यहां फूटी कोठी स्थित श्रीजी वाटिका में श्री नवरात्रि दिव्य आराधना भक्ति महामहोत्सव के 10 दिवसीय धर्ममय- संस्कारमय आयोजन के पांचवें दिन अपना उद्बोधन दे रहे थे।
गुरुवार को संतश्री की निश्रा में 108 श्री पार्श्व पद्मावती के महापूजन-हवन के दौरान मां की भक्ति की संगीतमय प्रस्तुतियों, दुर्लभ बीज मंत्रों की स्तुतियों के वाचन के साथ दिव्य भक्ति हुई। उन्होंने इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को डांडिया कार्यक्रम में नहीं जाने व न ही नाचने का सामूहिक संकल्प भी दिलाया। 
डॉ वसंतविजयजी म सा ने कहा कि जिस कूल में स्त्रियों का आदर होता है वहां देवता प्रसन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ने स्त्री को माता के रूप में स्वीकार करके यह बात प्रसिद्ध की है कि नारी पुरुष के कामोपभोग की सामग्री नहीं, बल्कि वह वंदनीय-पूजनीय है।
उन्होंने यह भी कहा कि धर्म की महिमा और नारी की गरिमा को समझने की जरूरत है। राष्ट्रसंतश्रीजी ने अपने कई अनुभवों को साझा करते हुए समाज सुधार के तहत संस्कृति की विकृतियों, पाश्चात्य फैशन को त्यागने व धर्म संस्कृति की मर्यादाओं की रक्षा करने की भी प्रेरणा दी।
इस अवसर पर तालियों की गूंज और सुरमई संगीत की धुनों पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों में संतश्री ने ‘कृष्णगिरी वाली प्यारी प्यारी मैया…, मां पदमें मैं तुझे पुकारू आओ ना…, पद्मावती मैया बेड़ा पार करो…, आएगी आएगी आएगी पद्मावती आशीष देने आएगी…, संदेशा आया है मैया जी आएंगे…’ सरीखे अनेक भजन सुनाते हुए अलौकिक भक्ति कराई।
महामहोत्सव समिति के अध्यक्ष अभय बागरेचा ने बताया कि संतश्री की प्रेरणा से श्रीजी वाटिका में मां पद्मावती की 13 फीट की तथा मां लक्ष्मी व मां सरस्वतीजी की 9-9 फीट की पहली बार विराजमान दिव्य प्रतिमाओं के समक्ष विशाल 108-108 किलो घी व तेल के अखंड दीपक प्रज्वलित है। वही प्रतिदिन विद्वान पंडितों द्वारा मां लक्ष्मीजी की दिव्य साधना 24 घंटे सुचारू रूप से जारी है।
उन्होंने बताया कि पूजा वस्त्रों में पूजन विधान में शामिल हुए सभी श्रद्धालुओं की अनुमोदना करते हुए संत श्रीजी ने उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया। बागरेचा के मुताबिक कार्यक्रम में अनेक राजनेता व प्रशासनिक अधिकारी प्रतिदिन शिरकत कर मां की भक्ति व संतश्री का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अन्य संगीतकारों में प्रेरणा भटनागर, ऋषि दुग्गड व मुंबई के लिम्का बुक कलाकार गजानन पारेख ने भी अपनी-अपनी आध्यात्मिक भक्ति की प्रस्तुतियां दी। बागरेचा ने बताया कि शुक्रवार को श्री महाप्रभाविक उवसगहरम महाअनुष्ठान पूजन होगा। मुख्य संयोजक अरविंद जैन ने सभी का स्वागत किया। सचिव संजय मारवाड़ी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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