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स्टेशन दो है, एक तो निगोद का एवं दूसरा स्टेशन सिद्ध शिला निगोद: उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया

स्टेशन दो है, एक तो निगोद का एवं दूसरा स्टेशन सिद्ध शिला निगोद: उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया

हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं वह इस प्रकार हैं।

बंधुओं जैसे कि आज गुरूर्णिमा ने फरमाया कि गौतम स्वामी ने भगवान महावीर जी प्रश्न किया सबसे बड़ा स्टेशन कौन सा है?

स्टेशन दो है, एक तो निगोद का एवं दूसरा स्टेशन सिद्ध शिला निगोद का स्टेशन दुख देने वाला है। सिद्ध शिला का स्टेशन मुक्ति की तरफ ले जाने वाला है नि गोद में भी कोई भी जीव जा सकता है।जैसे कि पूर्वधारी भी कषाय की वजह से राग द्वेष की वजह सेनिगोद में जा सकता।

 सिद्धशिला स्टेशन पर जाने के लिए भी अनेक तकलीफ सहन करनी पड़ती है तो ही मुक्ति का मार्ग मिलता है 24 तीर्थंकर ओने कितने दुख सहन किए तब जाकर मोक्ष मिला। जैसे कि मरू देवि का जी भी निगोद से निकलकर ही मनुष्य भव में आया पहले केले के पत्ते मैं 1000 वर्ष का आयुष्य भोगा बबूल के कांटे की वेदना सहन की तब जाकर मनुष्य भव मिला। धन्य हो ऐसी मरुदेवी माता को जो प्रथम तीर्थंकर की माता बनी।

 मनुष्य के जीवन में भी हर कार्य की सीमा निर्धारित की जाती हैं लेकिन उनके आदर्श और संदेशों को इमानदारी से जीवन में जीना कठिन है। जिसने अपनी इंद्रियों को जीत लिया आत्मा विजेता ना बन सके आत्म विजय सर्वोपरि विजय है। हमारे यहां पर मेहमानों का आवागमन चालू है।

 आज भी लिंबाडा से महिला मंडल के अध्यक्ष मंत्री एवं संघ के अध्यक्ष एवं मंडल का विशेष सहयोग रहा गुरुनी मैया सरल स्वभावी सत्य साधना जी हमें रोज नया नया प्रोग्राम कराते हैं शुभ भावों के साथ।

 जय जिनेंद्र, जय महावीर, कांता सिसोदिया भायंदर

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