चेन्नई. जब सूर्य उदय और अस्त होता है तो हमें हमेशा सीख देता है। उगता हुआ सूर्य का रंग लाल होता है। इस दौरान नमो सिद्धाणं की माला फेरने से जीवन में सकारात्मकता आती है। जिस प्रकार भगवान राम, महावीर, बुद्ध आदि महान पुरुषों ने परोकार किया है उसी प्रकार सूर्य उगते ही सब प्राणियों पर उपकार करता है।
जैन दादावाड़ी अयनावरम में विराजित साध्वी कुमुदलता ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में अगर कुछ करना है तो आत्मा और मन पर नियंत्रण करो। मन पर अगर नियंत्रण कर लिया तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा रविवार का दिन होने से भास्कर अर्थात सूर्य की याद आ सकती है। अगर हम अपने घर के दरवाजे-खिडि़कियां खोल देंगे तो घर के अंदर सूर्य की रोशनी फैल जाती है। सूर्य की वर्णन अक्सर आता रहता है। हमारे जीवन में सूर्य का विशेष महत्व है। जैन धर्म में सूर्योदय व सूर्यास्त के हिसाब से पच्चखाण लिए जाते हैं।
साध्वी महाप्रज्ञा ने भी सूर्य की महिमा का वर्णन किया। साध्वी पदमकीर्ति ने प्रवचन के विषय ‘क्रोध’ पर अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि हमें भी भी क्रोध नहीं करना चाहिए। जब भी क्रोध आए कुछ अंतराल तक ब्रेक ले लें। टेलीग्राम की भाषा अर्थात कम शब्दों में अपनी बात पूरी करें। अपने अंदर विवेक को जगाएं। विवेक के जागने से क्रोध के अशुभ कर्मों को समझ लेंगे और क्रोध को टाला जा सकता है।