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सुपात्र को दिया हुआ दान सफल होता है: महासती श्री प्रियदर्शना जी महाराज

सुपात्र को दिया हुआ दान सफल होता है: महासती श्री प्रियदर्शना जी महाराज

जप तप धर्म आराधना के साथ दिवाकर भवन पर चल रहे पर्युषण महापर्व के अंतर्गत आज दूसरे दिन धर्म सभा को संबोधित करते हुए जिनशासन चंद्रिका मालव गौरव महासती श्री प्रियदर्शना जी महाराज साहब ने बताया कि जिस सज्जन पुरुष ने अपनी काया तो तपस्या रूपी कसौटी पर लगा दी हो, उस कसौटी में काया खरी उतरी हो तथा मन को एकाग्र करके जो ईश्वर के ध्यान में मग्न होता हो, अजर जो सदा ही जलाने वाला, काम क्रोध, लोभ, मोह, राग, द्वेष आदि को जला दिया हो, उनकी राख पर भी संतोष, शांति, दया, करूणा रूपी ढक्कन लगा दिया हो वही सुपात्र है।

ऐसे सुपात्र को दिया हुआ दान सफल होता है। सुपात्र को देने के लिए आपके पास यदि थोड़ा है तो थोड़े में से थोड़ा ही दीजिये। पास में होते हुए सुपात्र के लिए ना मत कीजिए। बादशाह अकबर भी दान देते समय अपने नजरें नीचे कर लेते थे पूछने पर उन्होंने बताया की देने वाला बड़ा नहीं होता बल्कि लेने वाला बड़ा होता है। वह आपसे लेने आया है इसीलिए आपको सुपात्र दान देने का पुण्य मिल रहा है। देने वाले एवं लेने वाले की भावना शुद्ध हो ऐसा दिया गया दान पुण्य को बढ़ावा देने का कार्य करता है। जिस प्रकार से भगवान का नाम लिया हुआ अनन्त गुणा फलदायक होता है। सभी पापों का नाश कर देता है। उसी प्रकार से सुपात्र को दिया हुआ दान भी अनन्तगुणा फलदायक होकर पापों की राशि को जलाकर भष्म कर देगा।

तत्व चिंतिका महासती श्री कल्पदर्शना जी महाराज साहब ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया आपने बताया कि दान देना अच्छे कर्मों की श्रेणी में आता है यदि आप से कोई दया की याचना लेकर आया है सामाजिक चंदा, धार्मिक चंदा, धर्म एवं समाज के लिए आपसे लेता है तो वह आप पर उपकार करता है ऐसे उपकारी को आप सम्मान दीजिए। प्रतिदिन सामायिक करके भी आप अभय दान दे सकते हैं दानी ऐसा हो कि एक हाथ से देने पर दूसरे हाथ को पता ना चले। दान का प्रचार करने से उसका फल निष्क्रिय हो जाता है इसलिए गुप्त दान को महत्वपूर्ण माना गया है।

दुनिया में दो प्रकार के अज्ञानी होते हैं एक जो बहुत सारा धन वैभव कमाने के बाद भी दान ना दे दूसरा बहुत सारा ज्ञान उपार्जन करने के बाद भी अपना ज्ञान लोगों में ना बाटे। महामंत्र नवकार के अखंड जाप दिवाकर भवन पर चल रहे हैं। उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री संघ अध्यक्ष इंदरमल दुकड़िया एवं कार्यवाहक अध्यक्ष ओमप्रकाश श्रीमाल ने बताया कि श्रीमति मधुजी सोनी ने 15 उपवास, मनीष जी मनसुखानी ने 5 उपवास के प्रत्याख्यान लिये।

तेले की तपस्या करने वाले समस्त महानुभाव के पारणे की सामुहिक व्यवस्था दिनांक 27 अगस्त को सोमवारिया स्थित सागर साधना भवन पर रहेगी। सामुहिक पारणे के लाभार्थी श्रीमती चंदरबाई जी बाबूलाल जी ओस्तवाल की स्मृति में श्रीमती चित्रा जी ज्ञानचंदजी ओस्तवाल परिवार रहेंगे। बालिका मंडल द्वारा धार्मिक नाटिका का मंचन किया गया । प्रभावना का लाभ श्रीमती सूरजबाई जी संपतबाई जी सोहनदेवी जी मेहता की पुण्य स्मृति में श्रीमान सुरेंद्रजी शांतिलाल जी मेहता परिवार एवं मास्टर अव्यान कोचट्टा के जन्म दिवस के उपलक्ष में श्रीमती चंदादेवी माणकलाल जी राकेशकुमार जी अर्पल जी कोचट्टा परिवार द्वारा लाभ लिया गया। धर्म सभा का संचालन महामंत्री महावीर छाजेड़ ने किया।

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