चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा संत और महापुरुषों का संघ जीवन में बहुत ही जरूरी है। इनका संघ मनुष्य को सत्संग में ही मिलना संभव है। सत्संग में जाये बिना मनुष्य के जीवन का कल्याण नहीं होगा। मनुष्य को हमेशा संत्सग की ओर ध्यान लगाए रहना चाहिए।
मौके आने पर सत्संग में जरूर जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संत समागम और सेवा करने का मौका मिल जाये तो उनके सेवा में लग जाना चाहिए। जिनके जीवन में संतों का आशीर्वाद होता है उन्हें कल्याण के लिए भटकना नहीं पड़ता।
साध्वी समिति ने कहा साधना की वजह से सतियों के जीवन में जो घटना घटी और उनके जीवन से जो हमारे जीवन मे घटना घटेगी उसका अंदाजा लगाना संभव नहीं हो सकता, लेकिन उनके जीवन का एक गुण भी मनुष्य के जीवन को बदल देने वाला है।
अगर सच्चे मन और भाव से उनके चारित्र को सुन कर जीवन में उतारा जाए तो असंभव काम भी संभव बन जायेगा। उन्होंने कहा कि सोलह साध्वियों की वजह से जिन शासन की फुलवारी महक गई है। वैसे ही शब्द को सुन कर अर्थ भी निकाल लिया जाए और भाव अच्छे न हों तो सब बेकार है।
जब तक मनुष्य अच्छे भावों के साथ साध्वियों के जीवन से नही जुड़ेगा तब तक उनके जीवन के सही घटना के बारे में पता नहीं चल पाएगा। अगर भाव अच्छे नहीं हुए तो पैदल यात्रा कर शब्द को सुन कर अर्थ निकालने के बाद भी जीवन सफल नहीं होगा। जीवन को सफल बनाना है तो भाव अच्छे रखने चाहिए।