चेन्नई. पुरुषावाक्कम के एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में विराजित साध्वी कंचनकुंवर के सान्निध्य में साध्वी सुप्रभा ‘सुधा’ ने कहा सभी प्राणी सुख चाहते हैं। किसी को भी दुख प्रिय नहीं है। स्वयं को जानने और स्वयं की अन्तरात्मा का साक्षात्कार करने से ही सुख मिल सकता है।
प्रभु ने धर्मदेशना में कहा है कि सत्य को खोजें। सत्य बाहर कहीं नहीं है, अपने आप को सत्य में प्रतिष्ठित करें। दूसरों को देखने वाला सत्य प्राप्त नहीं कर सकता, मनुष्य को आत्मनिरीक्षण करना होगा, तन में साधना उतरनी ही चाहिए।
साध्वी हेमप्रभा ‘हिमांशु’ ने बताया कि गौतमस्वामी के पूछने पर भगवान महावीर स्वामी ने सुबाहुकुमार के पूर्वभव को उद्घाटित किया कि सुमुख गाथापति के भव में मुनि भगवंत को दिए गए सुपात्रदान के फलस्वरूप उन्हें मनुष्य जीवन की सारी सुविधाएं और ऐश्वर्यशाली स पदाएं प्राप्त हुई है। इस संसार में चार प्रकार के मानव होते हैं- सुख, दुखी, पापी और धर्मी।
सुखी मनुष्य का वर्तमान देखकर दूसरों के मन में अधिकांशत: ईष्र्या और द्वेष के भाव आते हैं। प्रभु कहते हैं कि सुखी मनुष्य का वर्तमान नहीं बल्कि उसके द्वारा पूर्वभव में किए गए सुकर्मों को देखना चाहिए जिनके परिणामस्वरूप उसे सारे सुखों की प्राप्ति हुई है।
यदि ऐसा चिंतन हर व्यक्ति करे तो मन से द्वेष और ईष्र्या के भाव स्वत: ही समाप्त हो जाएंगे।
दुखी मनुष्य वह है जिसे देखकर मानव मन उसका भविष्य सोचने लगता है कि उसे यदि कुछ दे दिया जाए तो वह उसका दुरुपयोग कर सकता है, जबकि उसके प्रति मन में दया-करुणा के भाव आने चाहिए। दया बुद्धि से और करुणा आत्मा से की जाती है।
पापी मनुष्य का हमें भूत और वर्तमान नहीं बल्कि भविष्य देखना चाहिए।
पाप की कमाई से उसके धनवान बनने को नहीं देखना, उसके कर्मों का भविष्य में उदय होगा तो उसका क्या होगा? यह चिंतन करना चाहिए।
प्रभु महावीर ने कहा है कि पापी से नहीं पाप से घृणा करो। पाप ऐसा विष मिश्रित लड्डू है जिसका परिणाम भविष्य में सामने आता है।
धर्मी व्यक्ति का भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों हमें देखना चाहिए कि पूर्व के पुण्यों से वर्तमान में वह पुण्य कर सका है और इसके परिणाम भविष्य में पुण्यशाली प्राप्त होते हैं।
इस प्रकार सुबाहुकुमार के बारे में भूत, वर्तमान और उज्जवल भविष्य जानकर गौतमस्वामी तथा अन्य संत अनुमोदना करते हैं। धर्मसभा में महाविदेक क्षेत्र की भावयात्रा का आयोजन किया गया।
श्री उमराव अर्चना चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री हीराचंद पींचा ने बताया कि २९ जुलाई से २ अगस्त तक आनन्दऋषि के जन्मोत्सव और साध्वी उम्मेदकवर ‘अर्चना’ की पुण्यतिथि पर त्रिदिवसीय कार्यक्रम होंगे।