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सुख देन पर सुख मिलता है,और दुःख देने पर दुःख: महासती धर्मप्रभा

सुख देन पर सुख मिलता है,और दुःख देने पर दुःख: महासती धर्मप्रभा

Sagevaani.com @ चैन्नई। मनुष्य जैसा करता वैसा प्राप्त करता है,और भोगता है। मंगलवार को जैन भवन साहूकारपेट मे महासती धर्मप्रभा ने आयोजित धर्मसभा में श्रोताओं को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि संसार का प्रत्येक जीव आत्मा सुख चाहती है,पर उन्हे सुख मिलता नहीं है। क्योंकि सुख-दुख हमारे कर्मों पर आधारित होते हैं।

पूर्व भव मे किये गयें कर्मो के कारण हमारे जीवन सुख-दुःख आते है। उन्ही पाप कर्मो की वजह हमे दुःख भोगने पड़तें है। इस संसार में दुःख सुमेरू पर्वत के समान और सुख राई के दाने के बराबर है। दुःख भोगने वाला इंसान आगे चलकर सुखी हो सकता है,लेकिन दुःख देने वाला व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता है। इस बात को अगर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में लागू कर लेता तो वो कभी दुःखी नहीं होगा और न ही वो किसी के दुखों का कारण बनेगा। जो व्यक्ति दुसरों तकलीफ में देखकर बहुत खुश होता है परन्तु वक्त इसका हिसाब जरूर करता है वक्त हर दुखों को भर देता है लेकिन दुख पहुंचाने वाले को यहीं वक्त उसकी कर्म का दंड देने से नहीं चुकने वाला। जैसा कर्म हम करेगे वैसा ही फल हमें मिलेगा।

साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि पाप मनुष्य कितना भी छिप-छिपकर करलें लेकिन एक ना एकदिन जब पाप का घड़ा भर जाता है,तो वह बहुत जोर से फूटता है, आवाज भी दूर-दूर तक सुनाई पड़ती है। तब ऐसे इंसान के पास कोई नहीं आता और ना ही कोई साथ देता है। इंसान को पाप और ज़ुल्म करने से जितना ज्यादा बचेगा उतना ही जीवन में सुख भोग सकता है और अपनी आत्मा को पवित्र बना सकता है। साहूकार पेट श्रीसंघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया कि 1 अक्टूबर रविवार को विश्व अहिंसा दिवस पर अहिंसा के पूजारी वीर तेजाजी के जीवन पर साध्वी धर्मप्रभा का विषेश व्याख्यान रहेगा। इस दौरान धर्मसभा में कहीं श्रावक -श्राविकाओं के साथ श्रीएस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी महामंत्री सज्जनराज सुराणा, सुरेश डूगरवाल, शम्भूसिंह कावड़िया, संजय खाबिया आदि मौजूद थे

प्रवक्ता सुनिल चपलोत

श्री एस.एस. जैन भवन, साहूकार पेट, चैन्नई

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