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ज्ञान वाणी

सुख-दुख जीवन के दो सत्य

सुख-दुख जीवन के दो सत्य

चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा आत्मज्ञान सीखने वालों को पग-पग पर सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

गुरुदेवों के बताए मार्गो पर चलने वालों का जीवन धन्य बन जाता है। सुख-दुख जीवन के दो सत्य होते है। दनकस लाभ संसार का कोई भी व्यक्ति नहीं उठा सकता।

जीवन में आज अगर दुख है तो कल निश्चय ही सुख आएगा। दुख आने पर लोगों को थोड़ी हिम्मत रख कर अच्छे मार्ग पर ही चलते रहना चाहिए। सब अपने कर्मो पर निर्भर करता है।

मनुष्य का किया हुआ कर्म ही उसका सुख-दुख होता है लेकिन अपनी अज्ञानता की वजह से लोगों को यह नहीं पता चल पाता।

मनुष्य खुद की गलती को अनदेखा कर हर वक्त दूसरों को दोषी ठहराता रहता है। यही उसके जीवन के दुख का सबसे बड़ा कारण है। परिस्थिति लाख बुरी क्यों न हो मनुष्य को संयम रखना चाहिए, तभी जीवन सफल हो पाएगा।

सागरमुनि ने कहा समझ आने के बाद जो आचरण को प्राप्त करते हैं वहीं जीवन में आगे बढ़ते हंै। अगर मनुष्य अपना लक्ष्य पाने के लिए एक ही मार्ग पर चलता रहे तो एक दिन उसे मंजिल मिल ही जाती है। इसी प्रकार धर्म मार्ग पर चलने वालों के जीवन की दिशा बदल जाती है। मनुष्य को हर पल अपनी सोई हुई आत्मा को जगाने का प्रयास करते रहना चाहिए।

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