चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा संसार मे दुख और सुख का मूल कारण ममत्व भाव होता है। जब तक इस भाव मे मनुष्य बदलाव नहीं करेगा उसके जीवन मे दुख सुख आते जाते रहेंगे।
सांसारिक वस्तु मनुष्य की नही है, लेकिन फिर भी लोग इसको पाने के लिए दिन रात परेसान हो रहे है। मनुष्य की आत्मा उसकी है लेकिन उसके लिए कोई कुछ नहीं करता है।
जीवन मे आत्मा के सिवा कुछ भी सास्वत नहीं है। इसको जब तक नहीं समझा गया तब तक जीवन के दुख सुख पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से परीक्षा में पास होने के लिए बालक दिन रात पड़ता है। अगर न पढ़े तो पास नहीं हो सकता है। उसी प्रकार से आत्मा की कमाई के लिए तपना पड़ता हैं, जब तक ऐसा नहीं किया तब तक जीवन के दुख दूर नहीं हो सकते है।
उन्होंने कहा की जब तक मानव आसक्त होगा उसके कर्म बंधते जाएंगे। किसी भी वस्तु के प्रति जितना जल्दी हो सके आसक्ति खत्म कर लेनी चाहिए। जब तक मनुष्य इनसे दूर नहीं होगा उसके जीवन के अंधकार खत्म नहीं हो सकते है।
जीवन जीना कठिन नहीं है लेकिन मनुष्य ने अपनी गलत कर्मो से इसे कठिन कर लिया है। लोगो को लगता है कि कर्म को कौन देख रहा है, लेकिन ऐसी धारना ही मनुष्य के नर्को का कारण बन गई है।
उन्होंने कहा कि जीवन ओस की बूंदों जैसी होती है। सूर्य की रोशनी पड़ने तक चमकती रहती है लेकिन एक हवा का झोंका उसे नष्ट कर देता है। उसी प्रकार मनुष्य का जीवन है अगर सूर्य की रोशनी तक नहीं संभाला तो हवा का झोंका इंतज़ार नहीं करेगी।संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किया