गुजरातीवाड़ी श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ में विराजित आचार्य मेघदर्शनसूरीश्वर की प्रेरणा से सिद्धितप का कल्पनातीत माहौल खड़ा हो गया है। चेन्नई में विराजमान सभी गुरु भगवंतो ने भी इस सिद्धितप की महानतम साधना में तपस्वियों को आशीर्वाद देकर प्रोत्साहित किया। समग्र भारतभर में विभिन्न स्थलों में विराजमान विभिन्न समुदायों के गच्छाधिपतियों, आचार्यों एवं तपस्वी साधु-साध्वी भगवंतो के महामंत्रित वासक्षेप ने सभी तपस्वियों का तपोबल बढ़ाने का उपकार किया है। आचार्य मेघदर्शनसूरीश्वर ने बताया कि संघवी मनोरीबाई कंवरलाल वैद परिवार ने उदारता से सभी तपस्वियों की श्रेष्ठ कोटि की भक्ति की। गुजराती श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ के तत्वावधान में हो रहे इस सिद्धितप का विशिष्ट महोत्सव 14 अगस्त से शुरू हुआ।
इस अवसर पर मुमुक्षु कल्पकुमार की दीक्षा के मुहूर्त की उद्घोषणा की गई। मुमुक्षु कल्पकुमार की दीक्षा गच्छाधिपति राजेंद्रसुरीश्वर महाराज की आज्ञा एवं आशीर्वाद से आगामी 30 नवंबर को चेन्नई में होगी। 15 अगस्त को ‘मेरा प्रतिक्रमण- सच्चा प्रतिक्रमण’ का संगीत संवेदनामय माहौल में पापों के प्रति तिरस्कार और जीवों के प्रति सत्कार के भाव की धारा प्रकट हुई। 16 अगस्त को जीरावला भवन से वरघोड़ा के साथ सभी तपस्वियों का आगमन गुजरातीवाड़ी के प्रांगण में हुआ। समवशरण में विराजमान चतुर्मुख परमात्मा को तीन प्रदक्षिणा देखकर केतनभाई डेढिया के संगीत के भव्य माहौल में सभी तपस्वियों ने आचार्य के मुख से 7 उपवास के पच्चक्खाण ग्रहण किया। उनके हाथ- पैर और चेहरे का थनगनाट उनके तप की विशिष्ट शाता को प्रदर्शित कर रहा था। आचार्य ने सभी तपस्वियों को वासक्षेप देकर अंतर से आशीर्वाद दिया। 18 अगस्त को सुबह 8.45 बजे तपोवंदना संवेदना और संगीतमय माहौल में होगा।