Share This Post

Featured News / Featured Slider / Khabar

साहूकारपेट में अक्षय तृतीया पर्व सामूहिक सामायिक स्वाध्याय के संग आचार्यों के गुणगाण पूर्वक मनाया

साहूकारपेट में अक्षय तृतीया पर्व सामूहिक सामायिक स्वाध्याय के संग आचार्यों के गुणगाण पूर्वक मनाया

स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट में अक्षय तृतीया पर्व सामूहिक सामायिक स्वाध्याय के संग आचार्यों के गुणगाण पूर्वक मनाया |

श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ- तमिलनाडु के तत्वावधान में साहूकारपेट,चेन्नई में बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट में स्थित स्वाध्याय भवन में अक्षय तृतीया पर्व सामूहिक सामायिक स्वाध्याय के संग आचार्य भगवन्तों के गुणगाण पूर्वक मनाया गया |

तीर्थंकरों गुरु भगवन्तों की स्तुति व प्राथना के पश्चात वरिष्ठ स्वाध्यायी आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने आचार्य भगवन्त पूज्यश्री हस्तीमलजी म.सा की अनमोल कृति जैन धर्म का मौलिक इतिहास के अंतर्गत श्रुतधर खण्ड का वांचन किया |

स्वाध्यायी बन्धुवर श्री इन्दरचंदजी कर्णावट ने “इक्षुरस से किया पारणा ऋषभदेव भगवान,अक्षय तृतीया पर्व महान” सुन्दर भावों से स्तुति की | सामायिक परिवेश में उपस्थित श्रावकों ने गुरु हस्ती चालीसा के गाण से सामुहिक स्तुति की |

श्रावक संघ के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने कहा कि रत्नवंश में अक्षय तृतीया का महत्व हैं इसी पावन तिथि पर 96 वर्षो पूर्व चरित्र चूड़ामणि अखण्ड बाल ब्रह्मचारी इतिहास मार्तण्ड सामायिक स्वाध्याय के प्रबल प्रेरक आचार्य भगवन्त पूज्यश्री हस्तीमलजी म.सा की दस वर्ष की वय में अपने मातुश्री रुपाकवरजी व चौथमलजी कुल चार विरक्त आत्माओं की राजस्थान के अजमेर शहर में जैन भागवती दीक्षा रत्नवंश के छठे आचार्य भगवन्त जीवन निर्माण के शिल्पकार, कुशल पारखी पूज्यश्री शोभचन्द्रजी म.सा के मुखारविन्द से हुई थी | एवं इसी अक्षय तृतीया की पावन तिथि पर 146 वर्षो पूर्व रत्नवंश के चतुर्थ आचार्य भगवन्त परम प्रतापी पूज्यश्री कजोडीमलजी जी म.सा का 77 वर्ष की वय में अजमेर में संथारा पूर्वक समाधिमरण हुआ |

उन्होंने महापुरुषों के गुणगान करते हुए कहा कि आचार्यश्री कजोडीमलजी म.सा के गुरुदेव रत्नवंश के तृतीय आचार्य पूज्यश्री हमीरमलजी म.सा के देवलोकगमन होने के पश्चात चतुर्विघ संघ ने आपकी संघ संचालन,संरक्षण शक्ति आगम ज्ञान,शारीरिक संपदा, प्रतिभा व योग्यता को देखकर एक मत से आपको आचार्य पद पर आसीन करने का निर्णय लिया |

अजमेर में जब आपको आचार्य पद की चादर ओढ़ाई गयी उस समय 24 चरित्र आत्माओं की उपस्थिति रहीं | आचार्य काल मे दीक्षित हुए मुख्य संतो के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि आपकी संयम यात्रा अर्ध शताब्दी से अधिक रही | आपका विचरण दिल्ली,कोटा आदि क्षेत्रों में हुआ और आपके चातुर्मास बीकानेर-जोधपुर व जयपुर के मध्य क्षेत्रों में हुए | आपके सर्वाधिक तेरह चातुर्मास नागौर,ग्यारह चातुर्मास अजमेर,दस चातुर्मास जोधपुर में जयपुर में छह,पाली में पांच,जन्म स्थली किशनगढ़ में दो चातुर्मास व बीकानेर व रियां में एक-एक चातुर्मास हुए |

संवत 1933 में आप चातुर्मार्षात अजमेर पधारें,चातुर्मास पश्चात स्वास्थ्य में प्रतिकूलता के कारण विहार की स्थिति ना होने के कारण,स्वास्थ्य में समाधि की दृष्टि से अजमेर में विराजें | संवत1936 में वैशाख शुक्ल तृतीया [ अक्षय तृतीया ] को अजमेर में आपका संलेखना संथारा सहित समाधि पूर्वक स्वर्गगमन हुआ |

धर्म सभा में स्वाध्यायीगण श्री रुपराजजी सेठिया,गौतमचन्दजी मुणोत,श्रावक संघ तमिलनाडु के उपाध्यक्ष अम्बालालजी कर्णावट इन्दरचंदजी कर्णावट,पदमचन्दजी दीपकजी व योगेशजी श्रीश्रीमाल कमलजी चोरडिया वीरेन्द्रजी ओस्तवाल लीलमचन्दजी बागमार उच्छबराजजी गांग की सामायिक परिवेश में उपस्थिति प्रमोदजन्य रहीं |

प्रेषक :-
” स्वाध्याय भवन “24 / 25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट,चेन्नई 600 079

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar