चेन्नई. वाणी भूषण श्रुताचार्य साहित्य सम्राट गुरुदेव अमर मुनि का व्यक्तित्व और कृतित्व वास्तव में अभिनंदनीय रहा है। उन्होंने हजारों – लोगों को व्यसन मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा दी तथा लाखों लोगों को जीवन जीने का सम्यक ज्ञान दिया। वे सही अर्थों में एक अध्यात्म युग पुरुष संत थे। यह विचार ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन साहुकारपेट में प्रवचन सभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गुरुदेव अमर मुनि वेश से भले ही जैन संत थे परंतु आचार और विचार से वे इतने सरल एवं सहज थे कि सभी को लगता वे जन जन के संत थे। उनके अमृत प्रवचनों में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि धर्मों’ का सार संदेश होता था। अत: 36 कौम के ही लोग उनकी प्रवचन सभाओं में बड़ी श्रद्धा – भक्ति से आया करते थे। गुरुदेव का गहन ज्ञान और मिश्री सी मीठी वाणी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध सा कर देती थी।
जब वे प्रवचन करते तो लगता समय जैसे रुक सा गया हो। उनकी वाणी इतनी ओजभरी होती कि नास्तिकों के दिलों में भी आस्था की घंटिया बजने लगती। उनकी सद् प्रेरणाओं से स्कूल, हॉस्पिटल, धर्म स्थान, वाचनालय पुस्तकालय आदि सैकड़ों संस्थाओं की दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि संपूर्ण उत्तर भारत में स्थापना हुई। ये संस्थाएं आज भी जन कल्याण कारी कार्यों के द्वारा मानवता की सेवा कर रही हैं।
गुरुदेव के श्री मुख से सैकड़ों मुमुक्षु युवक- युवतियों ने सन्यास धर्म स्वीकार किया और वर्तमान में वे समाज का, देश का अपने प्रवचनों के द्वारा मार्ग दर्शन कर रहे हैं। श्रध्देय गुरुदेव अमर मुनि की पावन जन्म एवं दीक्षा जयंति 31 अगस्त को महापर्व संवत्सरी के दिन जप- तप की आराधना के साथ धूमधाम से मनाई जाएगी। इस दिन श्रीसंघ में सेवा देने वाले सेवक भाई- बहनों का सम्मान भी श्रीसंघ द्वारा किया जाएगा। उप प्रवर्तक पंकज मुनि, रूपेश मुनि एवं लोकेश मुनि भी गुरुचरणों में अपने श्रद्धा पुष्प अर्पित करेंगे।