आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य में स्वास्थ्य सप्ताह चल रहा है आज रंगों का तन मन पर प्रभाव विषय पर प्रवचन करते हुए आपने कहा – सारा जगत रंगों से प्रभावित है। जीवन के हर क्षेत्र में रंग हमें प्रभावित करते हैं । रंग रश्मि है लेश्या है ।
लेश्या का सिद्धांत भी रंग और भावधारा आधारित है। रंगों का अपना प्रभाव और चमत्कार होता है। वर्तमान युग में कलर थेरापी का प्रचलन भी बढ़ रहा है। कलर या रंग क्या है ?कहां जाता है कि प्रकाश का 39 वाॅ प्रकंपन कलर है। हम सब पर दुनिया की प्रत्येक वस्तु पर सूर्य की किरणों का असर होता है। प्रकृति पर स्वभाव पर भी रंग का असर होता है।
स्वास्थ्य कैसा है? मनुष्य के भीतर के अवयवों का रंग अलग अलग होता है अवयवों के रंगों की भांति शरीर की कोशिकाएं रंगीन है। विचार भावनाएं रंगीन है। तैजस शरीर रंगीन है। इसलिए रंग हमारे शारीरिक , आध्यात्मिक दोनों स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। रंग चिकित्सकों ने अनेक प्रयोग किए हैं। जैन दर्शन के अनुसार पांच रंग है।
काला, पीला, नीला, लाल और सफेद इन सबका अपना अपना प्रभाव होता है। आयुर्वेद में भी रंगों को महत्व दिया गया है आयुर्वेद चिकित्सा का आधार वात, पित्त, कफ है।
मुनि सुबोध कुमार जी ने कहा- आहार और स्वास्थ्य का परस्पर गहरा संबंध है ।जब भी आहार पर चर्चा की जाती है, तब स्वास्थ्य से भी संबंध जुड जाता है। भोजन और स्वास्थ्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । इन्हें अलग अलग नहीं किया जा सकता ।
आहार के दोनों पक्षों पर ध्यान देना है । वे पक्ष है स्वास्थ्य का और साधना का । स्वस्थ रहने के लिए सात्विक आहार का प्रयोग हो। मैदा , फास्ट- फूड, आदि से बचने का प्रयास होना चाहिए ।
हमारा आहार जब जब भी स्वाद के साथ जुडता है तभी समस्या उत्पन्न करता है। आहार शरीर को पोषण देने वाला हो और साधना में सहयोग करने वाला भी हो।
संप्रसारक
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रप्लीकेन चैन्नई