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सामूहिक तपस्या और सामयिक के साथ मनाई जाएगी प्रसिद्ध साध्वी चांदकुंवर जी की 38वीं पुण्यतिथि

सामूहिक तपस्या और सामयिक के साथ मनाई जाएगी प्रसिद्ध साध्वी चांदकुंवर जी की 38वीं पुण्यतिथि

मालव मणि के नाम से विख्यात हैं साध्वी जी, शिवपुरी में भी 85 वर्ष पूर्व कर चुकी हैं धर्म प्रभावना

Sagevaani.com @शिवपुरी। शिवपुरी में चातुर्मास कर रहीं प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी म.सा. की दाद गुरुणी मालव मणि साध्वी चांद कुंवर जी म.सा. की 38वीं पुण्यतिथि त्याग, तपस्या और सामयिक के आयोजन के साथ मनाई जा रही है। इस अवसर पर 108 एकासना कर जैन श्रावक और श्राविका साध्वी चांदकुंवर जी महाराज को अपनी भावांजलि श्रीचरणों में अर्पित करेंगी। मालव मणि के नाम से विख्यात साध्वी चांदकुंवर जी महाराज शिवपुरी की धरा को भी अपने चरणरज से पवित्र कर चुकी हैं। आज से 85 वर्ष पूर्व संवत 1995 में उनका शिवपुरी में आगमन हुआ था जहां उन्होंने जिन धर्म की प्रभावना के साथ-साथ कोचेटा परिवार साध्वी मनोहर कुंवर जी महाराज को दीक्षा भी दिलवाई थी।

कमला भवन में आयोजित धर्मसभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने अपनी दाद गुरुणी साध्वी चांद कुंवर जी के जीवन चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उनकी दाद गुरुणी गुदड़ी की लाल थीं और संघर्षों की अग्रि में तपकर वह कुंदन की तरह निखरीं। जब वह सिर्फ दो माह की थीं तो उनके सिर से उनके पिता का साया उठ गया और तीन वर्ष होते-होते माँ ने भी साथ छोड़ दिया। एक अनाथ की तरह बालिका जीतकुंवर ने छह वर्ष तक संसार की बड़ी से बड़ी यातना, जुल्म और सितम सहे। लेकिन वह विचलित नहीं हुईं। छह वर्ष की उम्र में उन पर साध्वी प्रेमकुंवर जी महाराज की नजर पड़ी और उन्होंने उनका पालन कर रही मैना बाई से उस बालिका को जिन शासन की सेवा के लिए मांग लिया।

छह वर्ष की उम्र में बबूल के पेड़ के नीचे बालिका जीतकुंवर की दीक्षा संपन्न हुई और उनकी गुरुणी प्रसिद्ध साध्वी मेहताब कुंवर जी महाराज बनीं। बालिका का नामकरण साध्वी चांदकुंवर हुआ और उन्होंने अपनी गुरुणी के सानिध्य में अक्षर ज्ञान के साथ-साथ शास्त्रों का अध्ययन भी प्रारंभ किया और निरंतर अध्ययन और साधनारत रहकर उन्होंने अपने व्यक्तित्व को निखारा। अपनी गुरुणी के प्रति वह बहुत समर्पित रहीं।

जब वह 25 वर्ष की थीं तो उनकी गुरुणी का देवलोक गमन हुआ और उन्होंने अपनी आध्यात्मिक उत्तराधिकार का जिम्मा शिष्या चांदकुंवर जी को सौंपा। 75 वर्ष के संयम काल में वह यश लिप्सा से हमेशा दूर रहीं और उन्होंने अपनी सुशिष्याओं को जैन धर्म के आदर्शों और सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि गुरुणी मैया की पुण्यतिथि के अवसर पर श्रावक पारस गूगलिया और पंकज गूगलिया परिवार द्वारा 23 अगस्त को सामूहिक एकासना का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कम से कम 108 श्रावक और श्राविका एकासना कर गुरुणी मैया को अपनी भावांजलि अर्पित करेंगे। धर्मसभा में पुण्यतिथि के अवसर पर सामयिक की जाएगी और लकी ड्रा का भी आयोजन किया जाएगा। धर्मसभा को साध्वी रमणीक कुंवर जी और साध्वी पूनम श्रीजी ने भी संबोधित किया।

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