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ज्ञान वाणी

सामयिक के बिना मुक्ति नहीं: वीरेन्द्र मुनि

सामयिक के बिना मुक्ति नहीं: वीरेन्द्र मुनि

कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने जैन दिवाकर दरबार में धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने 9 वें सामायिक व्रत के विषय में फरमाया है। सामयिक के बिना मुक्ति नहीं, सामयिक में तो आना ही पड़ता है।

सामायिक का यह मतलब नहीं कि सिर्फ मुंहपति बांधकर बैठना – मन वचन काया की शुद्धि होना आवश्यक है. सामायिक में मन से बुरे विचार नहीं करना और कठोर या पापों की प्रवृत्ति हो ऐसे शब्द (वचन) नहीं बोलना।

बिना विचारे सोचे समझे बिना वचन बोलने से महाभारत हो गया महासती द्रोपदी ने जो शब्द उच्चारित किया कि ” अंधे का जाया अंधा ” जिसके कारण कैसे कष्ट झेलने पड़े। इसलिये सामायिक में सावद्य भाषा का प्रयोग न करें।

हिंसा कारी पापकारी कठोर वचन नहीं बोले सामायिक समता भाव में रहना सिखाती है। सामायिक आप कहीं पर भी किसी समय कर सकते हैं। दुकान में व्यापार लेनदेन करते हुए या रसोई बनाते समय यह ध्यान रहे कि किसी भी जीव की हिंसा न होतो खाना बनाते हुवे भी सामायिक की साधना कर सकते हैं।

व्यापार करते हुवे कम ज्यादा लेना-देना व तोल माप का ध्यान रखना झूठ लेख वगैरा झूठ बोलना अन्याय अत्याचार भाव ताव में गलत बोलना आदि सभी का ध्यान रखकर ग्राहक के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे तो समझ लिये आपकी सामायिक हो गई।

पुनिया श्रावक की कैसी सामायिक थी वैसी नहीं करते पर विवेक के साथ सामायिक के भाव में आ जाये तो कर्मों की निर्जरा हो सकती है आत्मा उज्जवल बन सकती है।

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