तपस्वी रत्ना की उपाधि से सम्मानित होंगी साध्वी पूनमश्री, आयोजन में देश के विभिन्न भागों से पधार रहे हैं धर्मावलंबी, सिद्धि तप की अनुमोदना में 61 लोग कर रहे हैं तप
शिवपुरी। प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज की सुशिष्या साध्वी पूनमश्री जी के 44 दिन से चल रहे सिद्धि तप का कल 3 अगस्त को समापन होगा। सिद्धि तप की पूर्णाहूति के अवसर पर 3 जुलाई को सुबह नौ बजे से जयदुर्गा टॉकीज के सामने स्थित आराधना भवन में गुणानुवाद सभा होगी जिसमें साध्वी पूनमश्री जी के 30 वर्ष के साधना काल का गुणगान किया जाएगा। गुणानुवाद सभा में भाग लेने के लिए महाराष्ट्र, दिल्ली, इंदौर, उज्जैन और पुणे से अनेक जैन धर्मावलंबी शिवपुरी पधार रहे हैं। गुणानुवाद सभा के बाद साधार्मिक वात्सल्य के लाभार्थी पदमचंद शैलेष कुमार कोचेटा परिवार है।
जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेश कोचेटा और तेजमल सांखला, महामंत्री विजय पारख और भूपेन्द्र कोचेटा, चातुर्मास कमेटी के सचिव सुमत कोचेटा और पंकज गूगलिया द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार साध्वी रमणीक कुंवर जी का चौदह वर्ष के पश्चात पुन: शिवपुरी में चातुर्मास हो रहा है, लेकिन तपस्वी साध्वी पूनमश्री जी प्रथम बार चातुर्मास हेतु शिवपुरी पधारी हैं। साध्वी पूनमश्री जी ने अपने 30 वर्ष के साधना काल में अनेक तपस्याएं की हैं जिनमें 30 दिन के उपवास, 2-2 वर्षी तप, 5 उपवास से लेकर 8, 16 और 19 उपवास तथा 20 स्थानक की ओली वह कर चुकी हैं।
साध्वी पूनमश्री जी ने सिद्धि तप शिवपुरी में प्रथम बार किया है। 44 दिन की तपस्या में 36 दिन वह निराहार रही हैं और सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच सिर्फ उन्होंने गर्म पानी का सेवन किया है। तपस्या के साथ-साथ वह जप आराधना भी कर रही हैं। जैन शास्त्रों और आगमों का उन्हें विशद अध्ययन है। साध्वी पूनमश्री जी समय की बहुत पाबंद हैं और अनुशासित ढंग से जीवन जीने की हिमायती हैं। साध्वी पूनमश्री जी की गुरूणी साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज हैं जो सांसारिक रिश्ते में उनकी बुआ लगती हैं। अपनी गुरू बहनों साध्वी नूतन प्रभाश्री जी, साध्वी जयश्री जी और साध्वी वंदनाश्री जी से उनका बहुत अच्छा समन्वय है। उनके सिद्धि तप की आराधना से जैन समाज में हर्ष की लहर है और उनके तप की अनुमोदना में 61 श्रावक श्राविकाएं नवकार महामंत्र तप आराधना कर रहे हैं।
लकी ड्रा और शासन माता के गीतों का होगा आयोजन
साध्वी पूनमश्री जी की सिद्धि तप की तपस्या के उपलक्ष्य में धर्मसभा में प्रतिदिन लकी ड्रा और शासन माता के गीतों का आयोजन हो रहा है। साध्वी रमणीक कुंवर जी के चातुर्मास के उपलक्ष्य में बाहर से पधारने वाले दर्शनार्थी भाई बहनों के लिए नि:शुल्क भोजनशाला संचालित की जा रही है जिसमें नवकारसी से लेकर दोनों समय का भोजन और दोपहर की चाय आदि शामिल हैं। दर्शनार्थियों के रूकने की व्यवस्था भी जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ द्वारा की जा रही है। प्रतिदिन साध्वी रमणीक कुंवर जी की धर्मसभा में देश के विभिन्न भागों से धर्मावलंबी पधार रहे हैं।
अपने पापों का प्रायश्चित करने वाला ही होता है सच्चा आराधक
धर्मसभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि चाहे भले ही तपस्याएं करो, धर्म ध्यान करो, दान और पुण्य करो, लेकिन जब तक अपने पापों का प्रायश्चित नहीं किया तब तक सब व्यर्थ है। पापों का प्रायश्चित करने वाला ही सच्चा आराधक होता है।
उन्होंने बताया कि प्रायश्चित गुरू के समक्ष करना चाहिए और गुरू जो दण्ड दे उसे स्वीकार करना चाहिए। गुरू सागर की भांति होना चाहिए ताकि प्रायश्चित करने वाले की बात उसकी जुबान पर ना आए। गुरू निष्पक्ष भी होना चाहिए। साध्वी जयश्री जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि जिनका हृदय स्वच्छ और निर्मल होता है धर्म वहीं निवास करता है।