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साध्वी कंचनकंवर सहित अर्चना महासती मंडल का भव्य चातुर्मास मंगल प्रवेश

साध्वी कंचनकंवर सहित अर्चना महासती मंडल का भव्य चातुर्मास मंगल प्रवेश

चेन्नई. साध्वी उमरावकंवर ‘अर्चना’ की सुशिष्याएं साध्वी सरलमना कंचनकंवर, डॉ.सुप्रभा ‘सुधा’, डॉ.उदितप्रभा ‘उषा’, विजयप्रभा, डॉ.हेमप्रभा ‘हिमांशु’, डॉ.इमितप्रभा, उन्नतिप्रभा, नीलेशप्रभा आदि ठाणा-8 का भव्य चातुर्मासिक मंगल प्रवेश चेन्नई महानगर में हुआ।

मंगल प्रवेश यात्रा 5 जुलाई 2019, शुक्रवार को प्रात: 8.30 बजे पारसमल सुरेशकुमार सुराणा के निवास रिथर्डन एवेन्यु, वेपेरी से सैकड़ों भक्तों के सैलाब, मंगल ध्वनि और जिनशासन के नारों के उद्घोष के साथ प्रात: 10.00 बजे श्री एएमकेएम मेमोरियल ट्रस्ट, पुरुषवाक्कम पहुंच भव्य धर्मसभा में परिवर्तित हुई।

साध्वी नीलेशप्रभा ने गौतम गणधर के आह्वान के साथ सभी को इस चातुर्मास की मंगल शुभकामनाएं की। स्वागत गीत के बाद कार्याध्यक्ष पारसमल सुराणा ने स्वागत भाषण दिया और साध्वीवंृद द्वारा सुदूर विहार में सहयोगी अजीत, अशोक, नवरतनमल चोरडिय़ा का कृतज्ञता प्रकट किया।

इस अवसर पर साध्वी सुमित्रा, साध्वी सुप्रिया, साध्वी साक्षीजी, साध्वी सुदीप्ति, साध्वी सुविधि, साध्वी प्रियांशी आदि ठाणा-6 सहित साध्वी सिद्धिसुधा, साध्वी सुविधी, साध्वी समिती आदि ठाणा-3 का भी पावन सानिध्य रहा।

साध्वी सुप्रभा ने अपने संबोधन में कहा कि स्थानक में मंगल प्रवेश का अर्थ है स्व-स्थान में प्रवेश। इस अवधि में हम सभी को स्व-स्थान, आत्मध्यान में रमण करना है। इन चार माह में दान, शील, तप, ध्यान की भावना में बहकर साधना करनी है व अपने कषायों को मंद करना है। साधु हमें जगाने के लिए आते हैं, मोह निद्रा से जागें, और अपने आत्मध्यान में लगें। सत्संग से पाप, ताप और दीनता को समाप्त करने का सामथ्र्य संतों में है।

साध्वी हेमप्रभा ‘हिमांशु’ ने कहा- एक संत वसंत के समान होता है। यह चातुर्मास का समय दान, शीलता, तप और भावना के बीज बोने का समय है, जिसका निरंतर विहार करने वाले साधु-साध्वियों को आत्म साधना करने का इंतजार रहता है। जहां पर ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप की आराधना होगी तो ही चातुर्मास सफल होगा। इस अवधि में अपनी जीवनयात्रा में ज्ञानरूपी पेट्रोल भर ले जो आपको अध्यात्म की ऊंचाईयों पर ले जा सके।

साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि पत्थर में छुपी प्रतिमा के समान हमारे अन्तर में भी प्रभु की प्रतिमा छुपी है, जिसे धर्म और तप, त्याग की छैनी हथौड़ी से निकालने के लिए साध्वीवृंद आएं हैं। यह तभी संभव है जब आपका पूर्ण समर्पण गुरुओं के प्रति होता है।

साध्वी उदितप्रभा ने कहा कि चार माह के इस वर्षावास में संतजनों की प्रवृत्ति रूकती है लेकिन चेतना का ऊध्र्वारोहण शुरू हो जाता है, हमें अपनी आत्मा को निवृत्ति की ओर ले जाना है। इस पावन समय में साधु भगवंतों के सानिध्य में रहें और असाधु कार्य न करें, सज्जन बनें। समाज को बदलना है तो स्वयं को बदलना होगा। जिनशासन के प्रति निष्ठा को और अधिक जाग्रत करना है।

इस अवसर पर सुरेश लीला बेद, हीराचंद गुणवंती पींचा, रिखबचंद सरोजदेवी घोड़ावत, सुशील भडक़चा, गौतम लोढ़ा ने शील व्रत लिए। साध्वी उदितप्रभा ‘उषा’ की सांसारिक बहन संतोष सुनील बाफना ने 24 व साध्वी हेमप्रभा की सांसारिक बहन कान्ता शांतिलाल बेताला ने ९ उपवास के पच्चखान किए। श्रीसंघ द्वारा तपस्वीयों का बहुमान किया गया।

चातुर्मास समिति के चेयरमेन दुलीचन्द चोरडिय़ा, सहचेयरमेन सरदारमल चोरडिय़ा, अध्यक्ष के.नवरतनमल चोरडिय़ा, कार्याध्यक्ष पारसमल सुराणा, मंत्री शांतिलाल सिंघवी, कोषाध्यक्ष डी.जेठमल चोरडिय़ा, प्रचारप्रसार मंत्री हीराचंद पींचा, अजीत चोरडिय़ा, गौतमचंद गुगलिया सहित समाज की अनेकों सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे। धर्मसभा में छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, सिरकाली से अनेकों श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए। मंत्री शांतिलाल सिंघवी ने सभा का संचालन किया।

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