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साधु जीवन का सच्चा श्रृंगार वैराग्य : मुनि सुधाकर

साधु जीवन का सच्चा श्रृंगार वैराग्य : मुनि सुधाकर

माधावरम्, चेन्नई, आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनिश्री सुधाकरजी एवं मुनिश्री नरेशकुमारजी के सान्निध्य में तपस्याओं की लहर नजर आई। पर्यूषण पर्व से 1 दिन पूर्व 32 भाई-बहनों ने उठाई तप का प्रत्याख्यान किया। उसी के साथ नवरंगी तप भी उल्लास से संपन्न हुआ। आज शुक्रवार को मुनिश्री से खुशबू सेठिया एवं सज्जन बाई रांका ने 11 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। जब तपस्वी बहन के द्वारा तपस्विनी बहन का अभिनंदन हुआ, तो पूरा पंडाल ऊँ अर्हम् की ध्वनि से गूंजायमान हुआ।

  मुनि सुधाकरजी ने इस अवसर पर कहां तपस्या आत्म शुद्धि का अमोघ साधन है। प्रदर्शन के लिए नहीं, आत्म दर्शन के लिए तपस्या करनी चाहिए। तप बड़े, ताप घटे का संस्कार भीतर में अवतरित होना चाहिए।

    अष्टमाचार्य कालूगणी की पूण्य तिथि

  तेरापंथ के अष्टम आचार्य कालूगणी की पुण्यतिथि पर गुणानुवाद करते हुए मुनि श्री सुधाकरजी ने कहा साधु जीवन का सच्चा श्रृंगार वैराग्य है। आचार्य श्री कालूगणी की दीक्षा पाँचवें आचार्य श्री मघराजजी के कर कमलों से बीदासर (चुरू) में हुई। जब उनकी दीक्षा यात्रा का वरघोड़ा निकला तो उनके शरीर पर कोई आभूषण नहीं था। उस समय की विचार धारा के अनुसार श्रावक समाज को यह अच्छा नहीं लगा। एक धनवान श्रावक ने अपने घर बुलाकर उनको पहनने के लिए मोतियों का हार दिया। 11 वर्ष की उम्र के छोटे वैरागी कालू ने कहा मैं साधु जीवन की ओर बढ़ रहा हूँ। साधु के लिए सच्चा आभूषण वैराग्य है। भगवान महावीर की वाणी के अनुसार मैं सभी आभूषणों को भार और बन्धन मानता हूँ। इस उत्तर में हमें उनकी गहरी वैराग्य भावना का दर्शन होता है तथा हम सबको जीवन की सही दिशा का ज्ञान होता है।

 मुनि श्री ने आगे कहा कि आचार्यश्री कालुगणी की उदारता और जिज्ञासावृत्ति सर्व विदित्त है। उनका कहना था- मनुष्य को जीवन भर विद्यार्थी बनकर रहना चाहिये। वे 33 वर्ष की उम्र में आचार्य बने। आचार्य बनने के बाद भी उन्होंने पट्ट से नीचे बैठकर गहरा अध्ययन किया। उन्होने ज्ञान साधना का जो बीज बोया, वह आगे जाकर शतशाखी वट वृक्ष बना। आचार्य कालूगणी द्वारा दीक्षित दो महान् आचार्य गुरुदेव श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञजी जैन शासन को मिले।

  मुनि नरेशकुमारजी ने प्रासंगिक वक्तव्य दिया। सेठिया परिवार की बहनों ने गीत एवं वक्तव्य के माध्यम से तपस्विनी की अनुमोदना की। जैन तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट की ओर से उपाध्यक्ष रमेशजी परमार एवं जैन तेरापंथ नगर के अध्यक्ष माणकचंदजी रांका ने तपस्वी बहनों का अभिनंदन किया।

 समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

  मीडिया प्रभारी : श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई

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