बेंगलूरु। विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका एवं शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने बुधवार को यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में अपने प्रवचन में साधक को संयमित जीवन जीने की सीख देते हुए कहा कि भगवान महावीर का संदेश है कि मानव जीवन को वासना में नहीं उपासना में अपना जीवन लगाना चाहिए।
गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में उन्होंने कहा कि संसार के भौतिक सुख क्षणिक नाशवान है। इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने एक गीतिका के माध्यम से समय के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि समय रहते हुए व्यक्ति को धर्माराधना करते हुए अपने जीवन के हर पल को सार्थक करना चाहिए। साध्वीश्री डाॅ.पद्कीर्तिजी ने सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए कहा कि जीवन का सच्चा सुख त्याग में है। सुखी जीवन के तीन सूत्रों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सदैव अपने कार्य के प्रति जागरुक रहना चाहिए, संतोष गुण को अपनाना चाहिए तथा धर्मसाधना में दृढ़ आस्था रखनी चाहिए।
धर्मसभा का संचालन अशोक कुमार गादिया ने किया। समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि इस अवसर पर चेन्नई सहित शहर के उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की।
आगंतुक अतिथियों व तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का समिति पदाधिकारियों ने सत्कार किया। रांका ने बताया कि गुरुवार को डाॅ.कुमुदलताजी की पावन निश्रा में महामंगलकारी भगवान मुनिसुव्रतस्वामीजी का कल्याणकारी अनुष्ठान होगा।