जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने प्रवचन सभा मे परमपिता परमात्मा आदिनाथ भगवान के विशेष्णो का विशेषताओ का उल्लेख करते हुए कहा कि आपकी भक्ति मे सदा तललीन रहने वाले के सम्मुख देव दानव मानव पशु के भी कष्ट दूर हो जाते है!प्राचीन समय मे तपस्वी साधक जन प्राय जंगलो की गुफाओ मे निर्जन वन मे निवास करते रहते थे -उनकी जीवन चर्य जीव जंतुओ के संग व खान पान वन मे होती थी, भयंकर से भयंकर मौसम मे भी वो अपनी तप जप साधना में निमगण रहते थे! खूंखार जीव जानवर जिस आज का इन्सान देखते ही घबरा उठता है थर थर कांप जाता है वे साधक गण निर्भय बनकर विचरण करते उनको भी आश्रय देदेते किन्तु उनकी महान अहिंसा ऊर्जा के सम्मुख हिंसक जानवर भी अहिंसक बनकर उनकी सेवा मे रह जाते!
इतिहास साक्षी है अहिंसा शक्ति के सम्मुख हिंसक कार्य समाप्त हो जाते, वे स्वयं अहिंसक बन जाते मन के भावों का गहरा असर होता है! मानतुंग आचार्य प्रार्थना करते हुए भक्तामर के माध्यम से वन्दना व समर्पण करते जा रहे है! जंगल मे प्राणियों मे दो प्राणी विशेष बलवान पाए जाते है! एक को जंगल का राजा शेर कहा जाता तो दूसरा तन मन काया से शक्तिमान हाथी कहलाता है किन्तु इनके सम्मुख तपस्वी साधक आ भी जाए तो हाथी भी नत मस्तक हो जाता है एवं उनकी सेवा मे रत हो उठता है! सभा मे साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी द्वारा भक्त शिरोमणि आचार्य मानतुंग की तप जप साधना के उल्लेख करते हुए संकट मे की गई साधना इन्सान के लिए रक्षक का काम करती है!
आवश्यकता है हमारी यह साधना निस्वार्थ भाव से निरंतर जारी रहनी चाहिए सासांसारिक पदार्थो की चाहना नहीं होनी चाहिए तभी सफलता प्राप्त होती है! महामंत्री उमेश जैन द्वारा श्री गंगानगर व रानियाँ से आये हुए भक्तो का स्वागत किया गया एवं सूचनाएं प्रदान की गई।