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साधक एवं कठोर तपस्वी संत हैं आचार्य शिवमुनि: साध्वी सुमित्रा

साधक एवं कठोर तपस्वी संत हैं आचार्य शिवमुनि: साध्वी सुमित्रा

77वां जन्मोत्सव मनाया

चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा के सानिध्य में बुधवार को आचार्य शिवमुनि की ७७वां जन्मोत्सव मनाया गया। इस मौके पर साध्वी प्रियांशी ने कहा शिव मुनि और भगवान शिव में बहुत सी बातें एक जैसी हैं। साध्वी सुप्रिया के कहा शिवमुनि का जीवन विलक्षण विविधताओं का समवाय है।

वे कुशल प्रवचनकार, ध्यानयोगी, तपस्वी, साहित्यकार और सरल व्यक्तित्व के धनी हैं। सृजनात्मक शक्ति, सकारात्मक चिंतन, स्वच्छ भाव, सघन श्रद्धा, शुभंकर संकल्प, सम्यक् पुरुषार्थ, साधनामय जीवन, उन्नत विचार इन सबके समुच्चय से गुम्फित है उनका जीवन। वे महान साधक एवं कठोर तपस्वी संत हैं।

पिछले 37 वर्षों से लगातार एकांतर तप कर रहे हैं। इक्कीसवीं शताब्दी को अपने विलक्षण व्यक्तित्व, अपरिमेय कर्तृत्व एवं क्रांतिकारी दृष्टिकोण से प्रभावित करने वाले युगद्रष्टा ऋषि एवं महर्षि हैं।

उनकी साधना जितनी अलौकिक है, उतने ही अलौकिक हैं उनके अवदान। उन्होंने धर्म को अंधविश्वास एवं कुरीतियों से मुक्त कर जीवन व्यवहार का अंग बनाने का अभिनव प्रयत्न किया है। उनका कार्यक्षेत्र न केवल वैयक्तिक व सामाजिक बल्कि सार्वदेशिक, सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक है।

वे धरती के भगवान बनकर मानव मन के ताप, संताप और संत्रास को हर रहे हैं। उन्होंने धरती पर स्वर्ग के अवतरण की कल्पना की है, सामाजिक कुरीतयों के विरुद्ध जनचेतना जागृत की है, धर्म को जाति, वर्ग एवं संप्रदाय के घेरे से मुक्त कर आत्मशुद्धि के महान अनुष्ठान के रूप में प्रस्थापित किया, मानव को सौहार्दपूर्ण जीवन जीने की कला सिखाई।

वे उत्क्रान्तचेता धर्मनायक हैं, उनका शासनकाल न केवल श्रमणसंघ के लिए बल्कि मानवता के लिए आध्यात्मिक विकास का पर्याय है। इस मौके पर नगरों से पदाधिकारियों एवं श्रावक श्राविकाओं ने हिस्सा लिया।

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