चेन्नई. विरुगम्बाक्कम स्थित एमएपी भवन में विराजित कपिल मुनि के सानिध्य व एसएस जैन संघ के तत्वावधान में रविवार को सर्व सिद्धि प्रदायक, विघ्न बाधा विनाशक श्री वज्रपंजर (आत्म रक्षाकर) स्तोत्र जप अनुष्ठान हुआ। इस मौके पर मुनि ने कहा कि पंचपरमेष्ठी देव असीम शक्ति के पुञ्ज हैं।
उनकी स्तुति और भक्ति से पाप रूपी अंधकार नष्ट होता है और आत्मा के मौलिक गुणों का प्रकटीकरण होता है। आत्मोत्कर्ष के लिए जितनी भी साधना हैं, प्राय: उन सब में मंत्र, स्तोत्र, छंद आदि जप का समावेश किसी न किसी रूप में अवश्य होता है क्योंकि मंत्र विद्या मनुष्य के अंतरंग में सोई हुई उन शक्तियों और क्षमताओं को जाग्रत करती है जो उसे उच्च आध्यात्मिक लक्ष्य तक पहुंचाती हैं।
इस जाप के प्रभाव से जीवन में अनिष्ट और अशुभ की सारी संभावनाएं क्षीण होकर जीवन में सभी शुभ और श्रेष्ठ साकार होते हैंं। प्रवचन में मुनि ने कहा अपनी अल्प विकसित अवस्था में भी मनुष्य सुख व संतोष पा सकता है। जैसे ही मिथ्या आडम्बर और अपने को बढ़ा चढ़ा कर प्रदर्शित करने की भावना प्रविष्ट हुई उसके जीवन में दुर्दशा प्रारम्भ हुई।
लोग समझते हैं जितना अधिक अपने आप को प्रदर्शित करेंगे उतनी ही औकात, सम्मान, मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। पर यह भूल जाते हैं कि हम जिस समाज में पलकर इतने बड़े हुए उससे हमारी वस्तु स्थिति छिपी नहीं है। आखिर जिस दिन टूट गई उस दिन अभी तक जितना सम्मान नहीं मिला, उससे कही अधिक लज्जा, आत्मग्लानि, अविश्वास और उपहास का सामना करना पड़ेगा।
हमारे जीवन की दुर्दशा का कारण आज यही है कि लोग बाहरी दिखावे और प्रदर्शन को जो मान प्रतिष्ठा का आधार मानते हैं वे भ्रम में हैं। मनुष्य की शालीनता उसकी सादगी में होती है। जहाँ सादगी होगी वहीं सत्कर्म होंगे, जहाँ सत्कर्म होंगे वही सुख और सुव्यवस्था होगी। प्रेम, एकता और विकास के अनेकों साधन अपने आप मिलते चले जायेंगे ।
इस मौके पर मुम्बई से जैन कॉन्फ्रेंस महिला शाखा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रुचिरा सुराणा ने भी विचार व्यक्त किये। संघ मंत्री महावीरचंद पगारिया ने बताया कि बुधवार को मुनि के सानिध्य में आचार्य जयमल की 312वीं व आचार्य सम्राट आत्माराम की 137वीं जन्म जयन्ती जप तप की आराधना के साथ मनाई जाएगी।