चेन्नई. कोडमबाक्कम-वडपलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा आज लोगों में सहनशीलता और विनम्रता नहीं होने से उनके अच्छे रिश्ते भी टूट जाते हैं। इन दोनों के अभाव में एक ही घर में रहने के बाद भी परिवार में आपसी संबंध अच्छे नहीं होते। सहनशीलता और विनम्रता से घर परिवार, संघ समाज में मनुष्य आपसी संबंधों को मजबूत बना सकता है।
इन गुणों के अभाव में आज संघ समाज में अशांति का माहौल बना हुआ है। लोगों को संबंध अच्छे रखने के लिए सहनशील और विनम्र बनने की जरूरत है। वर्तमान में मनुष्य ने हर परिस्थिति में बदलाव तो कर लिया है लेकिन जीवन में परिवर्तन नहीं कर पा रहा है। आपसी रिश्तों को मधुर बनाने के लिए समर्पण करना और कुछ समर्पण रखना पड़ता है।
मुखिया में ये दो गुण होने पर परिवार में वात्सल्य का माहौल बना रहता है। महापुरुषों ने कहा है हीरे मोती लोहे में नहीं सोने में जड़े जाते हैं क्योंकि लोहे का स्वभाव कठोर और सोने का स्वभाव लचीला होता है। उसी प्रकार कठोर मनुष्य के सभी रिश्ते टूट जाते हैं। जीवन में रिश्तों को बनाए रखने के लिए झुकना सीखना बहुत ही जरूरी है।
जो झुकना जानते हैं वे जीवन में आगे जाते हंै। वर्तमान में लोग किसी कि सहायता करते हैं तो उसके बदले नाम या सराहना की भावना रखते हंै लेकिन सही मायने मेंं सहायता करने वालों को ऐसी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
निस्वार्थ भाव से अगर किसी की सहायता की जाए तो उसका फल अपने आप ही मिल जाता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी की सहायता करने के बदले प्रशंसा की भावना नहीं होनी चाहिए।