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सहनशीलता की साक्षात मूर्ति है मां: डॉ.वैभवरत्नविजयजी म.सा.

सहनशीलता की साक्षात मूर्ति है मां: डॉ.वैभवरत्नविजयजी म.सा.

 श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई में श्व वंदनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत प.पू. युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ.वैभवरत्नविजयजी म.सा.के भव्य वर्षावास चल रहा है।

   ~ संपूर्ण विश्व का हित करने वाले ऐसे तीर्थंकर प्रभु, गणधर भगवान, मुनि भगवान, चक्रवर्ती, महान नेता, शूरवीर, दानवीर, को जन्म देने वाली श्रेष्ठ तत्व है मां।

~ भारत देश में मुगलों एमजेने, अंग्रेजों ने, पुर्तगाल ने, आक्रमण किया और उसके सामने लड़कर जीतने का बल देने वाला कोई है तो मां-बाप और उनके संस्कार।

~ मां और बाप के लिए संतान जैसी भी हो जहां भी हो स्वीकार कर सकते हैं तो बेटे बेटी को भी उनके स्वभाव का पूर्ण स्वीकार करना ही चाहिए।

~ स्वयं को दुख दर्द पीड़ा सहन करने के बाद भी अपने संतानों को सुख शांति समता समाधि दे वह है मां और पिता।

~ स्नेह का महासागर मां दुनिया के साथ समाधान से जीना सिखाया वह बाप।

~ सहनशीलता की साक्षात मूर्ति है मां हमारी सभी इच्छाएं पूरी करें वह है पापा।

~ मां और बाप को यदि सुखी होना है तो जीवन में अपने बच्चों को बहू को स्नेह भाग, प्रेमभाव, करुणा भाव, देना ही पड़ेगा और सब कुछ let go करना ही पड़ेगा।

~ मां और बाप को यदि जीवन में शांति चाहिए तो खुद की लालसाए अहंकार ईशा का नाश करना ही चाहिए।

~ हमें हमारे घर को अगर स्वर्ग बनाना है तो बहू को बेटी और सास को मां मानना ही पड़ेगा।

~ मां बाप और बेटे बेटी यदि थोड़ा सहनशीलता का स्वभाव रखें तो हर पल खुश रहेंगे।

    *”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*

🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪

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