“सप्त दिवसीय नमस्कार महामंत्र कार्यशाला समापन”
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रिप्पीकेन के तत्वावधान में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि रमेश कुमार जी के सान्निध्य में “नमस्कार महामंत्र साधना और प्रयोग” कार्यशाला का समापन हुआ।
इस कार्यशाला में नमस्कार महामंत्र के अनेकों रहस्यों को बताया गया। पंच परमेष्ठी के पांच पद, पांच चैतन्य केंद्र और पांच रंगों के साथ जप और ध्यान के प्रयोग कराये गये। इसके साथ ही अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और मुनि का महत्व, उनका स्वरूप और साधना के विविध प्रयोग कराये गये।
नमस्कार महामंत्र जप और ध्यान की पद्धतियों को बताते हुए मुनि रमेश कुमार ने कहा कि नमस्कार महामंत्र पर जप और ध्यान के अनेकानेक प्रयोग उपलब्ध हैं। सर्वसिद्धि दायक है नमस्कार महामन्त्र। संकल्पशक्ति, इच्छा शक्ति और मन की शक्ति को विकसित करने के लिए मंत्र की साधना जरूरी हैं।
सतत साधना से प्राण शक्ति का जागरण होता है। तब साधक के सामने दो दिशाओं में प्रयोग होते हैं। एक दिशा है सिद्धि की एवं दूसरी दिशा है आंतरिक व्यक्तिगत परिवर्तन की तैजस शरीर (बायो इलेक्ट्रिसिटी) का विकास होने पर सम्मोहन, वशीकरण, वचनसिद्धि, रोग निवारण, विचार सम्प्रेषण आदि सिद्धियां उपलब्ध हो सकती है।
मंत्र के जप से ऊर्जा बढ़ती है। उसका उपयोग अन्तर्मुखी होने पर कषाय की अल्पता होती है। आन्तरिक व्यक्तित्व बदलने लगता है। नमस्कार महामंत्र में चमत्कार और आत्मशोधन दोनों शक्ति निहित है। आत्मशोधन की दृष्टि से इसका जप किया जाता है तब बीजाक्षरों का योग किया जाता हैं।
आज शंखावर्त और नन्धावर्त से जप करने की विधि बताई गई। इसके साथ ही विधि, वार, ग्रह के अनुसार किस पद का कब और कैसे जाप करें, इसके प्रयोग भी समझाएं गये।
तेरापंथ ट्रस्ट टिप्लीकेन के मुख्यन्यासी गौतमचन्द सेठिया, वरिष्ठ श्रावक माणकचन्द बोहरा, उपासिका श्रीमती सूरज बोहरा, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका श्रीमती कुसुम चौरडिया, श्रीमती बेबी धारीवाल ने नमस्कार महामन्त्र कार्यशाला के अपने अनुभव सुनाते हुए बताया की इस कार्यशाला में हमें बहुत नई जानकारियाँ मिली। मुनिश्री से प्रवचन में प्रतिदिन प्रयोग करवाने का निवेदन भी किया।
विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति