चेन्नई.आचार्य प्रवर शुभ चन्द्र जी म.का नाम भी अमर है, और काम भी अमर है। वे नाम से ही शुभ नहीं थे अपितु काम से भी शुभ थे। उनके सान्निध्य में जो भी आता, उसका जीवन भी शुभ हो जाता था। वास्तव में वे सरलता, सादगी और सहजता के त्रिवेणी संगम थे। यह विचार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा आज आप और हम सभी आचार्य शुभचन्द्र जी म. की जन्म जयंति मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। आचार्य श्री कहा करते थे- चिंता नहीं, चिंतन करो। वे हर हाल में प्रसन्नचित्त रहते थे। उनके तन में रोग भी आए परंतु उनका समाधी भाव कभी भंग नहीं हुआ। श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि की निश्रा में श्री एस. एस. जैन संघ, साहुकारपेट द्वारा आयोजित इस समारोह में संत राजाराम जी म. और सुप्रसिद्ध कथावाचक संत कृपाराम जी म.भी विशेष रूप से पधारे। संत कृपा राम जी ने आचार्य श्री शुभचन्द्र जी की जन्म जयंति पर अपने श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि- जैन संतों का जीवन तप त्यागमय होता है।
यह जैन धर्म की अहिंसा का ही प्रभाव है कि जिसके बल पर महात्मा गांधी ने देश को आजाद करवाया। आचार्य श्री का जीवन हमें प्रेरणा दे रहा है कि सबका भला करो, आप फिर जहां भी जाएंगे, जीवन के हर मोड़ पर आपको लाभ होगा। श्रीसंघ के अध्यक्ष संपतराजजी एवं चेयरमैन धर्मेश लोढ़ा ने दोनों पधारे हुए संतों का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। समारोह के लाभार्थी शांति लाल लूंकड़ परिवार का श्रीसंघ की ओर से सम्मा किया गया। बहन प्रीति खींवसरा ने 10 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।
10 अगस्त की बहन शालिनी खिंवसरा के 31 उपवास (मास खमण) का भव्यातिभव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। जिसमें तीनों महिला संघों तथा परिजनों द्वारा तपस्वी के अभिनंदन गीत भी गाए जाएंगे। आने वाले 11 सितंबर को ‘विश्व शांति जाप महोत्सव “की प्रचार-प्रसार सामग्री का लोकार्पण किया गया।