Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

सरलता मुक्ति का सोपान : मुनि श्री अर्हत् कुमार

सरलता मुक्ति का सोपान : मुनि श्री अर्हत् कुमार
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री अर्हत् कुमारजी ठाणा 3 तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों को स्पर्श करते हुए पक्षीतीर्थ, तिरुकलीकुन्डरम पधारे। मुनिश्रीजी के दो दिवसीय प्रवास हेतु नगरवासियों ने भावभीना स्वागत किया। जैन भवन में मुनिश्री ने जनमेदनी को सम्बोधित करते हुए फरमाया कि सरलता मुक्ति का सशक्त मार्ग है। भगवान महावीर ने बताया था कि जिसके मन में सरलता का वास है, उसके ही मन में भगवान का निवास है। मन की सरलता ही व्यक्ति को मुक्ति के सोपान पर ले जाती है। बच्चे को भगवान का रूप इसलिये कहा जाता है, क्योंकि उसके मन में सरलता होती है। हमे कषाय विजयी बन कर आत्मा को परमात्मा बनाने का प्रयास करना चाहिये।
मुनिश्री भरतकुमारजी ने कहा, जो करता है त्याग, उसके जग जाते है भाग। जो जीवन का लक्ष्य मोक्ष रखता है, उसका यह भव और पर भव दोनो सुधर जाते है। मुनिश्री जयदीपकुमारजी ने सत्संग पर प्रकाश डालते हुए गीत का संगान किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष एस बाबुलाल खांटेड ने स्वागत भाषण दिया एवं ज्यादा से ज्यादा विराजने की अर्ज की। तपोनिष्ट श्रावक चम्पालालजी दूगड़, सभामंत्री सम्पतराज बडोला, राजेन्द्रजी दूगड़ इत्यादि श्रावक-श्राविकाओं ने रास्ते की सेवा का लाभ लिया।
 चेन्नई तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री प्यारेलाल पितलिया, मंत्री गजेन्द्र खांटेड़, तेरापंथ सभा ट्रस्ट बोर्ड साहूकारपेट के मुख्यन्यासी श्री विमल चिप्पड़ व उनकी टीम ने मुनिवृंद के दर्शन कर सुखसाता निवेदित कर चेन्नई पधारने का निवेदन किया। मुनिश्री ने श्रावक समाज की विनती को स्वीकार करते हुए चेन्नई पधारने का फरमाया।

            स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar