संयम मानव जीवन का श्रंगार है मंगलवार अहिंसा भवन शास्त्री नगर मे साध्वी प्रितीसुधा ने संयम धर्म का धर्मसभा मे महत्व बतातें हुए कहा कि बिना संयम के मनुष्य का जीवन शुन्य है। संयम जीवन को सद्गुणों से शृंगारित करते हुए हमारी आत्मा को शुद्धता प्रदान करता है।बिना संयम मनुष्य का जीवन बिना ब्रेक की गांड़ी के समान है।
संयमी व्यक्ति आध्यात्मिक, विवेकशील, ईमानदार और समाज का भला करते है। संयम के अभाव में व्यक्ति में क्रोध, हिंसा और मानसिक अशांति बनी रहती है। इसका प्रभाव उनके जीवन पर भी देखने को मिलता है, जिसके फलस्वरूप असंयमी व्यक्ति उद्दंड और सभी को कष्ट देता है ओर दुखों को भोगता है। उनके विचार सात्विक नहीं रहते है जिस मनुष्य में इन सब गुणों का अभाव होता है वह इन्द्रियों का गुलाम बनकर आत्मा का पतन करवा सकता है। विवेक, धर्म, दया और संयमी व्यक्ति मान अपमान होने पर भी संयम को नही खोता है वही मनुष्य सुखों कि प्राप्त करके आत्मा को शुध्द बना लेगा।
इस दौरान शहर अणुव्रत समिति के जितेश बोथरा, आनन्द बाला टोडरवाल, रेणु चौरड़िया, रीना बापना, स्वीटी नैनावटी, पुष्पा पामेचा आदि अतिथीयो का अहिंसा भवन शास्त्री नगर के अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह बाबेल, रिखबचंद पीपाड़ा, सुशील चपलोत, हिम्मत सिंह बापना, ओमप्रकाश सिसोदिया, संदीप छाजेड़, कुशल सिंह बूलिया तथा मंजू पोखरना, रजनी सिंघवी, मंजू बापना, उमा आंचलिया, अंजना सिसोदिया, रश्मि लोढ़ा, सरोज महता आदि सभी पदाधिकारियों ने साध्वी प्रितीसुधा साध्वी संयम सुधा के सानिध्य मे अणुव्रत समिति के सदस्यों समान किया गया ।
प्रवक्ता सुनिल चपलोत
अहिंसा भवन शास्त्री नगर भीलवाड़ा