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सम और वेग को जोडते हैं तो वह संवेग कहलाता हैं: सुधाकवर जी महाराज

सम और वेग को जोडते हैं तो वह संवेग कहलाता हैं: सुधाकवर जी महाराज

*जय जिनेंद्र,* *कोडमबाक्कम् वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख 18 जुलाई सोमवार, परम पूज्य सुधाकवर जी महाराज साहब के मुखारविंद से:-परमात्मा की अंतिम देशना के उत्तराध्ययन जैन सूत्र में 36 अध्याय है उसमें 29 वा अध्याय सम्यक्तव पराक्रम का है! परमात्मा ने समाधान दिया है कि, 29 वां अध्ययन गाथा या कथा नहीं है, बल्कि प्रश्नोत्तर हैं ! संवेग से अनुत्तर धर्म श्रद्धा का जन्म होता है और अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ का नाश होता है और नवीन कर्मों का बंध नहीं होता, दर्शन की विशुद्धि होती है और इसका लाभ आत्मा को होता है! सम और वेग को जोडते हैं तो वह संवेग कहलाता हैं।

संवेग आत्मा को शुद्धि की तरफ और मोक्ष की तरफ ले जाता है! शुद्ध और पवित्र आंतरिक विचार आत्मा को ऊपर उठा देते हैं! संसार में रहते हुए भी आत्मा जागृत रहती है! कभी-कभी एक छोटा सा निमित्त मिलने पर भी आत्मा जागृत हो जाता है और आत्मा का कल्याण हो जाता है! भगवान उसी को मिलते हैं जिसका मन संवेग विचारों का होता है। एक बड़ी नदी में अचानक ज्यादा बहाव हो और उसके दिशा को मोड़ दिया जाता है तो बहुत बड़ा विनाश को रोका जा सकता है। वैसे ही मन का, वचन का, काया का, संवेग हमारे कर्म निर्जरा में सहायक बनते हैं और हमारी आत्मा मोक्ष की तरफ अग्रसर हो जाती हैं! जहां पर संवेग की प्रविष्टि है वह मोक्ष की तरफ अग्रसर होता है!

प.पू. सुयशा श्री मसा ने बताया हमारी जिंदगी का केंद्र स्थान धन है! आज की दुनिया में जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा संपत्ति कमाने की इच्छा या अन्याय धोखे से संपत्ति कमाने की लालसा बढ़ गई है! संपत्ति इतनी ही होनी चाहिए जितनी जरुरत है! रिश्तेदारों से या दोस्तों से व्यापार करने से कभी भी रिश्ता छूटने और दोस्ती टूटने का भय रहता है! हमारी जिंदगी में स्पष्टता यानी clarity होनी चाहिए!

*Communication:-*

urgent और important का मतलब समझ में आना चाहिए! इसका सीधा संबंध हमारे client, हमारी गुडविल, हमारी इमेज और हमारे इंप्रेशन पर पड़ता है! बाहर वाले हमारे बारे में क्या सोचते हैं इसका हम बहुत ख्याल रखते है। लेकिन हमारे घर वालों के बीच में हमारी इमेज क्या है हम उसकी परवाह बिल्कुल नहीं करते!

Community of our life:-

हमारा उठना बैठना किन लोगों के साथ होता है हमारी संगत कैसी रहती है हमारी रूटीन लाइफ कैसी होती है यह हमारी जिंदगी में बहुत मायने रखते हैं! हमें हमारे साधु संत मिलते हैं या उनके दर्शन होते हैं तो यह हमारी पुण्य वाणी है! हमें अनायास ही उनके दर्शन मिल जाते हैं इसलिए उनका महत्व कभी भी कम नहीं होना चाहिए! आज की धर्म सभा में श्रीमान अशोक जी तालेड़ा ने 15 उपवास, श्रीमती सुशीला जी बाफना ने 7 उपवास, एवं श्रीमती प्रकाश जी लालवानी ने 6 उपवास के प्रत्याख्यान किए। इसी के साथ कई धर्म प्रेमी बंधुओं ने विविध तपस्याओं के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।

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