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सम्यक ज्ञान सम्यक दर्शन का महत्व आचरण से ही पूर्ण होता हैं: प्रकाशचंदजी जैनजयपुर

सम्यक ज्ञान सम्यक दर्शन का महत्व आचरण से ही पूर्ण होता हैं: प्रकाशचंदजी जैनजयपुर

पर्युषण पर्व के अंतर्गत कांकरिया गेस्ट हाउस, किलपाक में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु के तत्वावधान में स्वाध्यायी बन्धुवर प्राचार्य श्री प्रकाशचंदजी जैनजयपुर ने सम्यकचारित्र विषय पर विस्तृत उदबोदन देते हुए अंतगढ सूत्र में वर्णित आत्माओं में गजसुकमाल के आत्मभावों में रमण करने को उत्कृष्टता पूर्ण साधना बताया |

सम्यक ज्ञान सम्यक दर्शन का महत्व आचरण से ही पूर्ण होता हैं | सम्यक चरित्र को तीसरा पायदान के रुप मे बताते हुए प्रभु महावीर द्वारा फरमाए प्रथम श्रेणी में अणगार धर्म अर्थात पांच महाव्रतों पांच समिति तीन गुप्ति का जीवन पर्यन्त पालन करना व दूसरी श्रेणी में आगार धर्म अर्थात श्रावक के पांच अणुव्रत,तीन गुण व्रत व चार शिक्षा व्रत अर्थात कुल बारह व्रतों का पालन व तीसरी श्रेणी में सप्त कुव्यसनों का त्याग बताया | उत्तराध्ययन सूत्र के तेरवें अध्ययन का विवेचन करते हुए बृह्मदत्त मुनि द्वारा चित्तसंभूति को आर्य कर्म करों व अनार्य कार्य को त्यागों | आचार्य हेमचंद्र द्वारा योग शास्त्र व आचार्य हरिभद्रसूरि द्वारा मार्गानुसारी के पैंतीस बोलो का श्रावक के द्वारा पालन कर्म की बात रखी | प्रथम बोल के अंतर्गत श्रावकों का धन-वैभव न्याय,-नीति सम्पन्न होना चाहिए | कृतज्ञता भाव व कृतघ्नता पर विस्तृत विवेचन किया |

उत्तराध्यन सूत्र के उन्तीसवें अध्ययन सम्यक्त्व पराक्रम पर आचार्य श्री गणेशीलालजी म.सा आचार्यश्री हस्तीमलजी म.सा जैन दिवाकर चौथमलजी म.सा आदि महापुरुषों के द्वारा किये गए पुरुषार्थ व विवेचन को हर जैनी को अवश्य पढ़ना चाहिए | विभिन्न आगमों के अनेक सूत्रों व गाथाओं का वर्णन करते हुए भावना रखी कि हम सभी आंशिक से गति करे अर्थात अणुव्रतों से क्रमशः बढ़ते हुए महाव्रतों की और कदम बढ़ाने के लक्ष्य को लेकर चले | युवा स्वाध्यायी रत्न श्री विनोदजी जैन ने अंतगढ़ सूत्र के मूल व अर्थ का वांचन किया व पच्चीस बोलों में से आठ कर्मों का विस्तृत विवेचन व वीरगुण गौरवगाथा का पाठ किया | श्राविका मण्डल ने दोपहर में रोचक प्रतियोगिता आयोजित की | सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने तीर्थंकर चालीसा, संयम चालीसा की सामुहिक स्तुति की | श्रावक संघ के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्र कांकरिया ने बताया कि स्वाध्यायी बन्धुवरों के पुरुषार्थ से तत्व चर्चा देव-गुरु-धर्म भक्ति, थोकडे, देवसिय प्रतिक्रमण, ज्ञान चर्चा, प्रतियोगिताएं आदि कार्यक्रम दैनिक रुप से चल रहे हैं |

अष्ठ दिवसीय साधना आराधना कार्यक्रम में श्रावक संघ,युवक परिषद श्राविका मंडल व स्वाध्याय संघ के सदस्य भाग ले रहे हैं व पूर्ण सहयोग कर रहे हैं | कार्यक्रम संयोजकगण मदनलालजी बोहरा, नवरतनमलजी बागमार, संजयजी चोरडिया, निखिलजी बागमार, हंसराजजी बागमार, संदीपजी ओस्तवाल, संजयजी चोरडिया के संग सभी कार्यकर्ताओं व किलपाक संघ,युवक संघ के पदाधिकारीगण व अनेक श्रदालु श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति प्रमोदजन्य हैं |

प्रेषक :- आर नरेन्द्र कांकरिया, कार्याध्यक्ष, श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु स्वाध्याय भवन,24/25 – बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट,चेन्नई 600 001 मोबाईल

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