किलपाॅक में विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर ने नवपद आराधना के दौरान सम्यक ज्ञान और सम्यक दर्शन का महत्व बताते हुए कहा कि सम्यक ज्ञान देने वाला सम्यक दर्शन है।
नवपूर्वों का ज्ञान मिल जाए और सम्यक दर्शन नहीं मिले तो वह अज्ञानी है। महापुरुष कहते हैं जिसे नवकार मंत्र भी आता है वह ज्ञानी है। निश्चय सम्यक दर्शन का तात्पर्य है आत्मा की श्रद्धा।
उन्होंने कहा आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है। यह शास्वत सुख से भरपूर है। जिसे शरीर व आत्मा का भेद का विश्लेषण पता है उसे सम्यक दर्शन हो जाता है। उसका आठ भव से ज्यादा संसार भ्रमण नहीं होगा। आत्मा नित्य है।
मैं आत्मा हूं का अनंत ज्ञान अन्दर रहना चाहिए। आत्मा से हमारा अभेद होना चाहिए। हम आत्मा है शरीर नहीं, इतनी समझ सबमें है। इसके बावजूद आत्मा के साथ एकता नहीं है। मैं स्वयं आत्मा हूं। आत्मा के साथ हमारी एकता सिद्ध होना ही सम्यक दर्शन है।
महापुरुषों ने परमात्मा की भक्ति, प्रीति को आत्मा के साथ एकता बताया है। सुलसा श्राविका के इसी गुण ने महावीर भगवान को प्रसन्न किया। यह सुलसा का सम्यक दर्शन है।
वे स्त्री वर्ग होने के कारण भगवान के साथ नहीं रह सकती लेकिन उनकी भावना बेजोड़ थी, उनके हृदय का तार भगवान से जुड़ा था। इससे उनका तीर्थंकर नामकर्म का बंध हुआ। तीर्थंकर नामकरण में सम्यक दर्शन का बहुत प्रभाव है।
संसार में तीन प्रकार की पुतली होती है पत्थर की, कपड़े की और शक्कर की। पत्थर की पुतली में पानी का प्रवेश नहीं हो सकता। कपड़े की पुतली पानी से भीग जाएगी।
वहीं शक्कर की पुतली अन्दर पिघल जाएगी, अपने अस्तित्व को खो देगी। परमात्मा के प्रेम में हमारी आत्मा कौनसी पुतली की है यह चिंतन करना चाहिए। सुलसा का अस्तित्व भगवान में खो गया, यह सम्यक दर्शन है। मैं और परमात्मा अलग नहीं हो सकते ऐसी भावना होनी चाहिए। जब हम मंदिर में जाते हैं अपने अस्तित्व को भूल जाना चाहिए।
उन्होंने कहा आत्मा की एकता की साधना सरल नहीं है। इससे पहले परमात्मा के प्रति प्रेम व समर्पण की भावना करनी होगी। परमात्मा की प्रतिमा भराने से यहां पर या भवान्तर में सम्यक दर्शन की प्राप्ति होगी, ये आगम के वचन है। जीवन में कम से कम एक प्रतिमा अवश्य भरानी चाहिए।
सम्यक दर्शन को निशंक बनाने के लिए सम्यक ज्ञान की जरूरत है। ग्रंथ व शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करोगे तो संशय दूर हो जाएंगे। सुलसा श्राविका, कृष्ण, श्रेणिक महाराजा सम्यक दर्शन द्वारा अगले चौबीसी में तीर्थंकर बनने वाले है।