साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने .कहा कि मनुष्य अनुष्ठान की ओर बढऩा है तो बहुत सारी बातों को ध्यान में रखना होगा। पाप क्या है क्या करने से होता है और पुण्य क्या है इस पर विचार करना बहुत जरूरी है।
अगर मनुष्य बिना किसी को बताये उसकी चीजें लेता है तो यह महापाप होता है। आज अगर बिना बताये समान ले लिया तो इसका भुकतान करना ही होगा। लोग सोचते है कि ऐसा करने से किसको पता चलेगा पर याद रहे तुरंत फर्क पड़े या ना पड़े लेकिन समय आने पर भुकतान करना ही होगा।
जीवन मे आगे जाना है तो पाप के मार्गो से बचे। वर्तमान में सम्यक्त्व की शक्ति और उसके रोल के बारे में लोगो को पता नहीं है, इसलिए लगातार धर्म के कार्य करने के बाद भी जीवन में परिवर्तन नहीं आ रहा है। लोग अभी भी मिथ्यात्व में फंस कर धर्म के कार्य कर रहे है जिससे जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
जब तक लोगो को सम्यक्त्व की शक्ति का पता नही चलेगा, उनके जीवन से मिथ्यात्व का असर दूर नही होगा। उन्होंने कहा कि एक दूसरे को गलत बोलना, साधु संतों के बारे में टिप्पणी कर मानव अपने मोक्ष के मार्ग को संसार का मार्ग बना ले रहा है। याद रहे जब तक सम्यक्त्व के प्रति ज्ञान नही आएगा तब तक मिथ्यात्व दिखाई नही देगा।
सम्यक्त्व के उदय के बाद मनुष्य का जीवन अपने आप ही बदल जाएगा और वह किसी के प्रति द्वेष की भावना नहीं रखेगा। क्रियायें करने के बाद परिवर्तन होना संभव हो जाएगा जब मनुष्य मिथ्यात्व को छोड़ कर सम्यक्त्व को महत्व देगा। जिस दिन लोग सम्यक्त्व की ताकर जान कर कर्मो की निर्जरा करेंगे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से शुन्य की कीमत नही होती है पर उसमे एक जोड़ दिया जाए तो कीमत अपने आप ही बढ़ जाती है। ठीक उसी प्रकार से सम्यक्त्व से किया गया धर्म अपने आप ही कीमती हो जाता है। जीवन में वहीं मनुष्य आगे जाते है जो सही तरीके से धर्म के कार्य करते हैं। .
साधवी सूविधी ,समिति. ने भी सभा मे.उदबोधन दिया अठार दिवसीय नवग्रह अनुष्ठान का समापन हुआ एवम लाभार्थियों को कलश वितरित किये गये, स़ंघ.अध्यक्ष आनंद मल छलाणी मंत्री मंगल चद खारीवाल माणकचंद खाबिया समेत अनेक गणमान्य लोग. उपस्थिति थे। .