चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा मनुष्य को अनुष्ठान की ओर बढऩा है तो बहुत सारी बातों को ध्यान में रखना होगा। पाप क्या है और पुण्य क्या है? इस पर विचार करना बहुत जरूरी है। अगर मनुष्य बिना किसी को बताये उसकी चीजें लेता है तो यह महापाप होता है।
आज अगर बिना बताये समान ले लिया तो इसका भुगतान करना ही होगा। जीवन मे आगे जाना है तो पाप के मार्ग से बचे। वर्तमान में सम्यकत्व की शक्ति और उसके रोल के बारे में लोगो को पता नहीं है, इसलिए लगातार धर्म के कार्य करने के बाद भी जीवन में परिवर्तन नहीं आ रहा है।
लोग अभी भी मिथ्या में फंस कर धर्म के कार्य कर रहे हैं जिससे जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। जब तक लोगों को सम्यकत्व की शक्ति का पता नहीं चलेगा, उनके जीवन से मिथ्यातत्व का असर दूर नहीं होगा। एक दूसरे को गलत बोलना, साधु संतों के बारे में टिप्पणी कर मानव अपने मोक्ष मार्ग को संसार का मार्ग बना रहा है।
सम्यकत्व के उदय के बाद मनुष्य का जीवन अपने आप ही बदल जाएगा और वह किसी के प्रति द्वेष की भावना नहीं रखेगा। क्रियाएं करने के बाद परिवर्तन होना संभव हो जाएगा जब मनुष्य मिथ्या को छोड़ कर सम्यकत्व को महत्व देगा। जिस दिन लोग सम्यकत्व की ताकत जान कर कर्मो की निर्जरा करेंगे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी।
जिस प्रकार शून्य की कीमत नहीं होती, पर उसमें एक जोड़ दिया जाए तो कीमत अपने आप ही बढ़ जाती है। ठीक उसी प्रकार से सम्यकत्व से किया गया धर्म अपने आप ही कीमती हो जाता है। जीवन में वहीं मनुष्य आगे जाते है जो सही तरीके से धर्म के कार्य करते हैं।