कृष्णगिरि. यहां श्री पाश्र्व पद्मावती शक्तिपीठ में मंगलवार को आचार्य श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वर का जन्मशताब्दी वर्ष एवं शक्ति पीठाधिपति यतिवर्य राष्ट्रसंत डा. वसंतविजय महाराज का 50वां जन्मदिवस गुरुभक्ति, आराधना, वंदन, प्रवचन एवं संगीतमय नाट्य व भजन प्रस्तुतियों के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रसंत को उपप्रवर्तक गौतममुनि एवं विनयमुनि वागीश द्वारा सर्वधर्म दिवाकर की पदवी से अलंकृत किया गया। मुम्बई की श्राविका श्रीमती ललिता जोगड़ द्वारा गुरुदेव को समर्पित 1290 पंक्तियों की कविता के गोल्डन बुक वल्र्ड ऑफ रिकॉर्ड के अवार्ड से नवाजा गया। साथ ही पुणे की श्राविका मीराबाई लूणिया द्वारा 450 आयंबिल की तपस्या संत के जन्मदिवस पर समर्पित की गई।
संतगण पंकजमुनि, लक्ष्मीसेन भट्टारक स्वामी मेलसीतामुर, वज्रतिलक, साध्वी निधिज्योति समेत कृष्णगिरि के सांसद अशोक कुमार ने शिरकत की। इस अवसर पर राष्ट्रसंत डा. वसंतविजयजी ने अपने उद्बोधन में गुरु, माता-पिता एवं श्री पाश्र्व पदमावती का वंदन कर गुरु गुणानुवाद करते हुए कहा आचार्य प्रेम सूरीश्वर ने उनको यति बनने की प्रेरणा दी।
उनके चरण-मात्र की धूल से वे ही नहीं हजारों श्रद्धालु सम्पन्न तथा साधक-साधना में श्रेष्ठ बने हैं। गुरुदेव के शताब्दी वर्ष में वर्षपर्यन्त गुरु आराधना भक्ति से जीवन को धन्य बनाएंगे। जैन धर्म की श्रेष्ठता का प्रमाण है कि भगवान महावीर ने अपने श्रीमुख से अहिंसा धर्म देकर आज पूरे विश्व में जैन धर्म की पताका फहराई है। उन्होंने कहा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में जीव अपने आहार व आचार से शुद्ध होता है।
यह प्रत्येक प्राणी के लिए बेहद जरूरी है। कृष्णगिरि के इतिहास पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही बताया कि 7 हजार साधु-साध्वी यहां से साधना कर चुके हैं। समारोह में कैलाश जैन, कीर्ति जैन, फूलचंद करबावाला, बंशीलाल पीतलिया, भरत गुलेच्छा, देवेंद्र डोशी, अमृतलाल छाजेड़, बंटी चौरडिया, दीपक शाह, चंदू गांधी, आनंद बाफना, महामण्डलेश्वर राजराजेश्वरी शिवप्रिया व पूनमदेवी एवं केशर सिह राजपुरोहित गादाणा व निलेश कुमार जैन समेत अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
इस मौके पर अश्विन गुरु व संगीतकार उमेश कुमार ने गुरुवंदन एवं संगीतमय प्रस्तुति दी। संचालन वरुणमुनि, राजू सोनी व मनोज कुंभट ने किया। आयोजन के सहयोगी परिवारों का भी शक्तिपीठ ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने सम्मान किया। इस अवसर पर देश के अलावा विदेश से भी श्रावक-श्राविकाओं ने शिरकत की।
बीकानेर में सहस्राब्धि पर्व 4 अप्रेल से
समारोह में खरतरगच्छाधिपति जिनचंद्रसूरीश्वर ने बताया कि खरतरगच्छ सम्प्रदाय के 1000वें वर्ष के उपलक्ष्य में आगामी 4 से 8 अप्रेल तक सहस्राब्धि पर्व राजस्थान के बीकानेर में मनाया जाएगा। उन्होंने इस आयोजन में यतिवर्य डा. वसंतविजय महाराज सहित उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया।