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समस्या हमारी दृष्टि पर आधारित होती है: देवेंद्रसागरसूरिजी

समस्या हमारी दृष्टि पर आधारित होती है: देवेंद्रसागरसूरिजी

 

श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ में आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी ने प्रवचन देते हुए कहा कि जिस स्थिति या परिस्थिति को हमारा मन जटिल मानता है, जिसमें अनुकूलित नहीं हो पाता उसे समस्या माना जाता है। कहने का आशय यह है कि समस्या हमारी दृष्टि पर आधारित होती है। किसी ने ठीक ही कहा है कि हमारी दृष्टि ही सृष्टि की निर्मात्री है। बहरहाल, कभी-कभी जीवन में बाहरी कारणों की वजह से हमारे सामने ऐसी विषम परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसका सामना न चाहते हुए भी करना पड़ता है। ऐसी दशा में हम क्या करें और कैसे उससे निपटें अर्थात् वस्तुगत रूप से कौन सी प्रक्रिया अपनाएं, इसे समस्या समाधान कहते हैं।

जीवन में समस्याएं तो आती ही रहती हैं। दरअसल समस्या विहीन जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। समस्या आने पर उसे कैसे हल करें यानी उसका समाधान कैसे निकालें, इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण बातों को जान लेना जरूरी है। जैसे सबसे पहले मन में झांकें कि कौन सी ऐसी बात है जो आपको मूल रूप से तनाव दे रही है। हो सकता है, कोई व्यवहार हो या फिर विचार या भाव। समस्या के समाधान का दूसरा पहलू संभावित विकल्पों पर विचार करना है। आपके मनमस्तिष्क में उसके हल के लिए जितने विकल्प हो सकते हैं उन्हें लिख डालें। इसके बाद तीसरी महत्वपूर्ण बात है सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन करना। अब बारी-बारी से एक-एक विकल्प को व्यावहारिकता के आधार पर निस्तारित करते चलें। कहने का आशय यह है कि जो सबसे ज्यादा उपयुक्त लगे उसका चयन कर लें।

ध्यान रहे एक-एक कर विकल्प को खत्म करते चलें और उसे कागज पर भी निपटा दें, अन्यथा बार-बार ध्यान उन विकल्पों पर जाएगा और समय यूं ही बर्बाद होता रहेगा। इस तरह की क्रिया अपनाने पर जो विकल्प अंत में बचेगा, वही सबसे उपयुक्त होगा। इस संदर्भ में चौथा और सबसे आवश्यक अंग यह है कि सबसे उपयुक्त विकल्प को कैसे लागू किया जाए। वस्तुत: हम सब बहुत सी बातें ठीक-ठीक जान रहे होते हैं, किंतु लागू न कर पाने के कारण उनके वांछित परिणामों से वंचित रह जाते हैं। सच तो यह है कि इस तरह के जानने को जानना कहते ही नहीं। जानना वही है जो जीवन में लागू किया जा सके। वास्तव में जीवन में उधार का ज्ञान काम नहीं आता। इससे आप अवांछित चिंता से बच सकेंगे।

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