जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने जैन धर्म के सिद्धांतो को जीवन जीने की कला बतलाते हुए विनय विवेक की चर्चा करते हुए कहा कि जिस इन्सान के जीवन मे ये दो गुण आ जाते है उसी का जीवन धर्म मय कहलाता है। इसके विपरीत क्रोध व अहंकार रूपी अवगुण आते ही अधर्म पाप का जीवन निर्माण होता है! वर्तमान समय मे भी घर परिवार संघ समाज मे प्राय: देखा जाता है वही शान्ति को पा रहे है! जिनमे धर्म भावना मौजूद रहती है! हमारे देश की पावन परम्परा रही है कि सम्पूर्ण मानव जाती ही नहीं अपितु समस्त चराचर के जीव मात्र हमारे अपने ही कुटुम्ब परिवार की तरह ही है अत: सभी जीवों से अपनत्व की भावना रखे कोई पराया नहीं होता, अपना पराया हमारी अपनी अज्ञानता है!
महवीर प्रभु ने तो कहा इस संसार मे ऐसा कोई स्थान या सम्बन्ध या व्यक्ति या जीवजंतु नहीं है जिसके साथ तेरे पारिवारिक सम्बन्ध नहीं रहे हो पूर्व भव या आगत भवों मे सम्बन्ध रहे व रहेंगे अत : सभी के सुख दुःख मे समानता समन्वय की भावना रहनी चाहिए! वर्तमान समय मे मानव मन शुद्धता की दृष्टि होने से मेरा तेरा की हीन बढ़ती जा रही है भारत के समस्त धर्म गुरुओं के उपदेशों ने हमें एकता का शुभ सन्देश दिया है! मुनि जी ने व्यंगात्मक भाव से कहा पुस्तकालय लाइब्रेरी मे गीता पुराण कुरान आगम व समस्त धर्मों के ग्रन्थ एक साथ रहते है। उनमे कभी मन मुटाव नहीं होता तो फिर इन धर्म ग्रंथो को मानने वालों मे इतना भेद भाव दंगे फसाद इनके नाम से क्यों चल रहे है!
सभा मे साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी द्वारा आदिनाथ भक्ति स्वरूप सामूहिक भक्तामर जी का पठन पाढन विधि विधान के साथ किया गया गुरु पुष्कर जन्मोत्सव के पंचम दिवस पर अनेक दान दाता व महिला संघ द्वारा गौमाता की सेवा स्वरूप मीठा व ओशध का दान दिया गया! महामंत्री उमेश जैन द्वारा प्रतिदिन के कार्य कर्मो की सूचनाएं प्रदान की गई गुरु पुष्कर का विशाल जन्मोत्सव दिनांक 2 अक्टूबर को भोज राज एस एस जैन सभा पब्लिक सी सेकंडरी स्कूल मे जैन सम्मेलन के रूप मे आयोजित किया जायेगा।