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समर्पण के महासुमेरु थे आचार्य महाप्रज्ञ – साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा

समर्पण के महासुमेरु थे आचार्य महाप्रज्ञ – साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा

आचार्य महाप्रज्ञ महाप्रयाण वार्षिक पुण्यतिथि

किलपॉक, चेन्नई 26.04.2022 : साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य एवं तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की तेरहवीं वार्षिक पुण्यतिथि पर भावांजलि कार्यक्रम ‘किलपॉक’ स्थित श्री पुरवराज बडोला के निवास स्थान पर मनाया गया।

साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी ने आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के जीवन से जुड़े अनेक प्रेरक और श्रवणप्रिय घटना प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा- आचार्य श्री महाप्रज्ञजी अनेक गुणों के महापुंज थे। जन-जन के आदर्श थे। आज जरूरत है संकल्पित होकर उस महापुरुष द्वारा प्रदत्त जीवन-सूत्रों को अपनाने की और जीने की। महाप्रज्ञजी के अनुत्तर विनय और समर्पण भावों ने उन्हें विकास के सर्वोच्च शिखर का आरोहण करवा दिया। उनके विराट और विलक्षण, व्यक्तित्व को शब्दों में सीमित नहीं किया जा सकता। आज भी हर व्यक्ति के दिलों में उनकी मोहिनी मूरत विराजमान है। वे ऐसे प्रज्ञापुरुष थे जिन्होंने दर्शन, ज्ञान, योग, आगम आदि के द्वारा युग को, नया बोध दिया, नई दिशा प्रदान की। अनेक राजकीय एवं सामाजिक संस्थानों द्वारा सम्मानित महामना आचार्य महाप्रज्ञजी ने सम्पूर्ण मानव जाति को अनेकों अवदान दिए हैं। उन्होंने ज्ञान का अमिट आलोक बांटा। अपनी करुणा दृष्टि से हर दर्शनार्थी को मार्गदर्शन दिया। वे हर समस्याओं के समाधायक पुरुष थे। उनका उपशम भाव प्रवर था। श्रुत के महासाधक आचार्य महाप्रज्ञजी का व्यक्तित्व, कर्तृत्व और नेतृत्व चिरस्मरणीय, वंदनीय और प्रेरणास्पद था।

साध्वीश्री ने आगे कहा कि उनके श्रीचरणों में आराधना, साधना और ज्ञानार्जन का मुझे वर्षों तक सौभाग्य मिला। स्नेहिल दृष्टि और विश्वास मिला। उनकी प्रेरणाएं सदैव हमारा मार्ग प्रशस्त करती रहेगी। सम्पूर्ण मानवजाति उनके अवदानों के प्रति कृतज्ञ हैं।

कार्यक्रम का प्रारम्भ साध्वीवृन्द द्वारा ‘महाप्रज्ञ अष्टकम’ से हुआ। तेरापंथ सभा मंत्री गजेन्द्र खांटेड ने श्रद्धासिक्त विचार व्यक्त किए। महिला मंडल ने सामूहिक गीत का संगान किया। उपासक जयन्तीलालजी सुराणा एवं महिला मंडल अध्यक्षा पुष्पा हिरण ने भावाञ्जलि अर्पित की। साध्वी डॉ राजुलप्रभाजी ने अपनी स्वरचित काव्यांजलि में आचार्य महाप्रज्ञजी की तुलना शिवशंकर से की। साध्वी डॉ चेतन्यप्रभाजी ने कहा- आचार्य महाप्रज्ञजी का व्यक्तित्व असीम था, उनका जीवन अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय था। साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी द्वारा रचित गीतिका का संगान साध्वीवृन्द ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी सिद्धियशाजी ने किया।

            स्वरुप चन्द दाँती

          प्रचार प्रसार प्रभारी

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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