साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा समय के साथ जीवन को सार्थक बनाने वाले सफल हो जाते हैं। ऐसा नहीं करने वालों के हाथ में निराशा ही लगती हैं। जिनका भाग्य अच्छा होता है उनको गुरु का इशारा ही बदल देता है।
देव गुरु की भक्ति जब भी पाने का मौका मिले तो दिल से स्वीकार कर आनंद पूर्वक करना चाहिए। दिव्य जिनशासन प्रत्येक आत्माओं को दिव्यता प्रदान करता है। देव गुरु का सानिध्य मिलने पर अनन्य भक्ति आस्था के साथ अपने अमुल्य जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा इस भव को बेहतर करने के लिए धर्म का मार्ग अपनाना चाहिए। मन में जिज्ञासा होने पर मनुष्य दिल से धर्म को अपनाता है। यह कार्य मनुष्य के जीवन को बदल देता है। परमात्मा की वाणी का श्रवण सिर्फ भाग्यशाली ही कर पाते हैं।
इसका लाभ उठाने वालों का जीवन बदल जाता है। सागरमुनि ने कहा हमारी संस्कृति में कुछ ही ऐसे पर्व है जिनका जैसा नाम होता है वैसा ही काम होता है। उनमें पर्यूषण पर्व भी है। पर्यूषण के समय आत्मा ठहर जाती है। इस मौके पर कर्म रूपी चक्र में घूमना बंद कर आत्मा को रोक देना चाहिए।
यह पर्यूषण का महापर्व मनुष्य को ऊंचाइयों पर ले जाएगा। पर्यूषण पर्व यही संदेश देता है कि जीवन को सफल बनाने के लिए इस पर्व को समझना चाहिए। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आंनदमल छल्लाणी एवं अन्य लोग उपस्थित थे।